आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के करीब छह साल बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माना है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी कर गलती की है. साध्वी मालेगांव बम धमाके में भी आरोपी हैं. जोशी भी मालेगांव धमाके में आरोपी थे. इसके अलावा जोशी दिल्ली से लाहौर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी, 2007 को हुए धमाके में संदिग्ध थे. जोशी की देवास में 29 दिसंबर, 2007 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में सितंबर, 2008 में हुए बम धमाके में करीब 37 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सवा सौ से अधिक लोग जख्मी हुए थे. यह धमाका शुक्रवार के दिन एक मस्जिद के पास हुआ था.
एनआईए की जांच के मुताबिक जोशी की हत्या लोकेश शर्मा और राजेंद्र पहलवान ने की थी, जो समझौता ब्लास्ट में आरोपी हैं. इन दोनों ने प्रज्ञा ठाकुर से दुर्व्यवहार के चलते जोशी की हत्या कर दी थी. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस हत्याकांड में इन दोनों की मदद दिलीप जगताप और जीतेंद्र शर्मा नाम के दो लोगों ने की थी. ये चारों गिरफ्तार कर लिए गए हैं. यूथ बीजेपी के नेता जीतेंद्र को हाल में मध्य प्रदेश के महू से गिरफ्तार किया गया है. इसकी गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने दावा किया कि इस मामले में जांच पूरी हो गई है.
एनआईए सूत्रों के मुताबिक इन लोगों को इस बात का डर था कि जोशी समझौता बम धमाके में इनकी मिलीभगत का भंडाफोड़ कर देंगे. बताया जाता है कि लोकेश और राजेंद्र का जोशी से पैसों के लेन-देन का भी विवाद था. एनआईए ने इन चारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी मांगी है. मंजूरी मिलने के बाद ही इस मामले में चार्जशीट फाइल की जाएगी. जांच एजेंसी मर्डर में इस्तेीमाल किए गए हथियार की फॉरेंसिक रिपोर्ट पर भी गौर कर रही है.
जांच एजेंसी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, आनंद राज कटारिया और बीजेपी पार्षद रामचरण पटेल के खिलाफ लगे आरोपों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश स्थित स्पेडशल कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. मध्य प्रदेश की पुलिस ने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (मर्डर), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत मिटाने) के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था. ठाकुर इस वक्त जेल में हैं, जबकि परमार, कटारिया और पटेल जमानत पर रिहा हो चुके हैं.