अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भेजी चादर चढ़ा दी गई है. मोदी की ओर से बीजेपी के सीनियर लीडर मुख्तार अब्बास नकवी ने चादर चढ़ाई.
ख्वाजा की दर पर चादर पेश करने की रवायत पुरानी है. प्रधानमंत्री मोदी की चादर इसीलिए खास बन गई है, क्योंकि मोदी ने भी देश से जुड़ी पुरानी रवायत को बरकरार रखा है. बुधवार को मोदी की चादर ख्वाजा के दरबार में चढ़ाई गई, तो गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से भी चादर पेश की जाएगी.
दरअसल, राजनीति की सरहदों में जब सब तरफ रास्ते बंद होते हैं, तब सूफी-संतों के यही दर-दरवेश तमाम हुकूमतों को सही रास्ते की रोशनी दिखाते हैं.
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुकर्रम अहमद ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि मोदी मुसलमानों में कुछ अच्छा मैसेज देना चाहते हैं. हमें यकीन है कि इससे देश में धार्मिक सौहार्द बढ़ेगा, इसका मैसेज अच्छा जाएगा. हम यही चाहेंगे कि मोदी ख्वाजा साहब के मिशन को अपनाएं और फिरकापरस्त लोगों को कड़ा जवाब दें.'
अब कांग्रेसी दिग्गजों की बारी
इस चादर से राजनीति के लिए संदेश भी निकलता है, क्योंकि मोदी की चादर ख्वाजा के सामने पेश की गई. सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल, कांग्रेस के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ख्वाजा के दरबार में सोनिया गांधी की चादर पेश करेंगे.
सोनिया गांधी की चादर के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चादर भी ख्वाजा की चौखट तक पहुंचेगी, जो बीते 10 साल से हर साल ख्वाजा के दरबार में चादर भेजते रहे हैं.
अजमेर शरीफ की जियारत में सियासतदानों का यह कारवां बहुत लंबा और सदियों पुराना है. चादर पेश करने की इस रवायत में छुपी है भारत की राजनीति की कहानी, जिसका असल मर्म जनता की जियारत से जुड़ा है, जिसमें हर कुर्सी से बड़ी इसी रूहानी ताज की छाया रही है.
ओबामा ने चादर चढ़ाकर रचा इतिहास
ख्वाजा के 803वें उर्स के मौके पर न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ने चादर पेश की, बल्कि सात समंदर पार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से भी ख्वाजा के दरबार में चादर पेश की गई है. पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ख्वाजा की चौखट पर मन्नतों भरी अर्जी भेजी है. अमनो-इंसानियत का पैगाम लिए इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी ख्वाजा के दरबार में चादर भिजवाई और इतिहास रच दिया.
अटल बिहारी बाजपेयी भी चढ़ाते रहे हैं चादर
अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर एक चादर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की तरफ से भी आई. अटल जी 1977 से हर साल दरगाह में चादर पेश करते आ रहे हैं. पिछले कुछ बरसों से वे चलने-फिरने की हालत में नहीं, लेकिन ख्वाजा के दरगाह पर उनके नाम की चादर आज भी चढ़ती है.