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सिर पर कलश रखकर भजन गाता है ये मुस्लिम

जिंदगी हो या फिर फुटबाल, दोनों में बैलेंस बहुत जरूरी है. बैलेंस बिगड़ा तो जिंदगी दांव पर लग सकती है और खेल का रुख भी पलट सकता है. ऐसे ही बैलेंस का खास उदाहरण पेश किया रियाजुद्दीन अब्दुल गनी ने. जाति और धर्म से ऊपर उठकर रियाजुद्दीन, सिर पर कलश रखकर मीरा के भजन गाते हैं तो देखने वाले भी दंग रह जाते हैं.

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Symbolic Image
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जिंदगी हो या फिर फुटबाल, दोनों में बैलेंस बहुत जरूरी है. बैलेंस बिगड़ा तो जिंदगी दांव पर लग सकती है और खेल का रुख भी पलट सकता है. ऐसे ही बैलेंस का खास उदाहरण पेश किया रियाजुद्दीन अब्दुल गनी ने. जाति और धर्म से ऊपर उठकर रियाजुद्दीन, सिर पर कलश रखकर मीरा के भजन गाते हैं तो देखने वाले भी दंग रह जाते हैं.

महाराष्ट्र के लोकगीतों और मीरा के भजनों से सुर साधने वाले रियाजुद्दीन ने मंदिरों और कई भक्ति आयोजनों में अपने भजनों से न सिर्फ अवार्ड जीते बल्कि लोगों के दिलों में अनोखी जगह भी बनाई है. भजन गाने के चलते लोगों ने रियाजुद्दीन का नाम 'राजूबाबा कीर्तनकार' रख दिया.

भजन गाना बन रहा है मुसीबत!
IIT मुंबई में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने से पहले रियाजुद्दीन ने कहा, 'यह म्यूजिक नहीं, भगवान की शक्ति है, जो हम सबके अंदर है.' उन्होंने बताया कि उनके इस काम के चलते उनके बेटे को समुदाय में शादी के लिए लड़की नहीं मिल रही है. हालांकि वह दिन में रोजाना पांच बार नमाज पढ़ते हैं और पांचो बार अलग-अलग मस्जिद में जाते हैं ताकि लोग उन्हें ऐसा करते देख सकें.

बचपन से ही गाने के शौकीन रियाजुद्दीन का ये काम बीड स्थित उनके गांव के लोगों को पसंद नहीं आया और उसे गांव से निकाल दिया गया. उन्होंने बाद में शादी कर ली. अब वह गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराना चाहते हैं.

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