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मोदी सरकार की वजह से UPSC में चयनित हो रहे ज्यादा अल्पसंख्यक! BJP नेता का दावा

इस साल सिविल सर्विस में 131 अल्पसंख्यक चयनित हुए हैं, जिनमें 51 मुसलमान हैं. ऐसा लगता है कि सिविल सर्विसेज में चयनित मुसलमानों पर क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो amu.ac.in से साभार)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो amu.ac.in से साभार)

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी का दावा है कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की वजह से अब UPSC में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ज्यादा चयनित हो रहे हैं. ऐसा लगता है कि सिविल सर्विसेज में चयनित अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों पर क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है.

70 साल में पहली बार!

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीति 'बिना किसी भेदभाव के गरिमा के साथ विकास' की वजह से इस साल सिविल सर्विस में 131 अल्पसंख्यक चयनित हुए हैं, जिनमें 51 मुसलमान हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नकवी ने यह दावा किया कि आजादी के बाद पहली बार अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इतनी बड़ी संख्या में UPSC में चयनित हुए हैं. गौरतलब है कि इसके पिछले साल अल्पसंख्यक समुदाय से कुल 126 लोग चयनित हुए थे, जिनमें 52 (4.5 फीसदी) मुसलमान थे.

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नकवी ने अखबार से कहा, 'अल्पसंख्यक समुदाय में, खासकर मुस्लिम युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है. लेकिन पिछली सरकारों ने ऐसा माहौल बनाने की पर्याप्त कोशिश नहीं की, जिससे उनमें आत्मविश्वास आए. प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिभावान युवाओं को बढ़ावा देने का ऐसा माहौल तैयार किया जिससे इतनी बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शीर्ष प्रशासनिक सेवाओं में आ रहे हैं.

किसकी मेहनत का नतीजा?

गौरतलब है कि सिविल सर्विस में चयनित मुस्लिम कैंडिडेट्स में से 26 को एक संस्था जकात फाउंडेशन ने कोचिंग और अन्य मदद मुहैया की थी. लेकिन इस संस्था के अध्यक्ष जफर महमूद,  मुख्तार अब्बास नकवी के दावे को खारिज करते हैं. उन्होंने कहा, 'ऐसा कहकर मंत्री जी अपने को हल्का कर रहे हैं. UPSC सरकार के हुक्म पर नहीं चलती. यह सौ फीसदी पारदर्शी संगठन है.'

महमूद ने कहा, 'हम पिछले 10 साल से लगातार इस बारे में ठोस प्रयास कर रहे हैं कि हमारे समुदाय के होनहार स्टूडेंट प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठें. हमने ऐसे ओरिएंटेशन कार्यक्रम भी चलाए हैं, जिससे उनमें आत्मविश्वास आए. यह नतीजा इन सबका ही फल है.'

इस साल सिविल सर्विस में चयनित शीर्ष 100 में लोगों में 6 मुस्लिम हैं, जिनमें 3 महिलाएं हैं. असल में 2017-18 में सरकार ने 'नई उड़ान' योजना के तहत सिविल सर्विस प्रारंभिक परीक्षा में चयनित अल्पंसख्यक समुदाय के 105 युवाओं को आर्थ‍िक मदद मुहैया की थी.

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नकवी ने बताया कि इस योजना के तहत पहले प्रति स्टूडेंट 50,000 रुपये की राशि दी जाती थी, लेकिन इस सरकार ने इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया. इसके अलावा 'नया सवेरा' योजना के तहत अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय अल्पसंख्यक युवाओं को मुफ्त में प्रतिष्ठित कोचिंग या संगठनों के द्वारा कोचिंग कराने की सुविधा देता है.

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