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UPA के ठुकराए दो रक्षा करार को मंजूरी देने के मूड में मोदी सरकार, 15 साल से मना रहा अमेरिका

यूपीए से बिल्कुल उलट रुख अपनाते हुए एनडीए सरकार ने साल 2016 में अमेरिका से एक द्व‍िपक्षीय मिलिट्री लॉजिस्ट‍िक्स करार किया था. अब भारत और अमेरिका दो समझौतों पर नए सिरे से चर्चा करने के लिए राजी हुए हैं.

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इस समझौते से भारत को युद्धक ड्रोन मिल सकते हैं (रॉयटर्स फाइल फोटो)
इस समझौते से भारत को युद्धक ड्रोन मिल सकते हैं (रॉयटर्स फाइल फोटो)

मोदी सरकार अमेरिका से दो ऐसे नए समझौतों पर पुनर्विचार कर रही है, जिन्हें यूपीए सरकार ने ठुकरा दिया था. इन 'बुनियादी समझौतों' के लिए अमेरिका पिछले 15 साल से भारत को मनाने की कोशिश कर रहा है. ये समझौते अगर हुए तो भारत को कई अत्याधुनिक ड्रोन हथियार मिल सकेंगे.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, यूपीए से बिल्कुल उलट रुख अपनाते हुए एनडीए सरकार ने साल 2016 में अमेरिका से एक द्व‍िपक्षीय मिलिट्री लॉजिस्ट‍िक्स पैक्ट किया था. अब भारत और अमेरिका दो समझौतों पर नए सिरे से चर्चा करने के लिए राजी हुए हैं. ये दो समझौते हैं-कम्युनिकेशन कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्योरिटी अरेंजमेंट (COMCASA) तथा बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियो स्पेशल कोऑपरेशन (BECA). इनके बारे में गुरुवार और शुक्रवार को एक बैठक में विचार किया जाएगा.

अखबार को एक सूत्र ने बताया, 'रक्षा मंत्रालय COMCASA और BECA की पुनर्परीक्षण पर गंभीरता से विचार कर रहा है और इसके तकनीकी निहितार्थ को समझने के लिए लागत संबंधी विश्लेषण किया जाएगा.

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अमेरिका का कहना है कि इन समझौतों से भारत को अत्याधुनिक सैन्य टेक्नोलॉजी और हथियारों से लैस ड्रोन जैसे सुरक्षित संचार के साधन हासिल हो पाएंगे. भारत काफी सालों से सशस्त्र ड्रोन (UAV) जैसे MQ-9 रीपर या प्रीडेटर-बी ड्रोन्स हासिल करने की रुचि रखता है.

अमेरिका के ये ड्रोन किसी लड़ाकू विमान की तरह उड़ते हुए दुश्मन के लक्ष्य पर मिसाइल हमला कर सकते हैं और फिर सुरक्षित वापस भी लौट आते हैं. लेकिन अभी तक दोनों देशों के बीच सिर्फ 22 सी गार्जियन्स प्लस की संभावित खरीद के बारे में भी औपचारिक चर्चा हो पाई है. ये ड्रोन लगातार 27 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और खुफिया, निगरानी तथा पैमाइश के लिए उपयुक्त होते हैं.

अमेरिका ने हाल में दोस्त देशों को हथियार बंद या बिना हथियार वाले ड्रोन निर्यात के बारे में नई नीति की घोषणा की है. भारत साल 2007 से अब तक अमेरिका से 15 अरब डॉलर का सैन्य साजो-सामान खरीद चुका है.

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