वायु सेना में सर्वोच्च रैंक मार्शल हासिल करने वाले एकमात्र सेनानी अर्जन सिंह की हालत गंभीर बताई जा रही है. वह राजधानी दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती हैं. वायु सेना ने शनिवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्जन सिंह से मिलने के लिए अस्पताल पहुंचे. इससे पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल लिया.
We are all praying for the speedy recovery of Marshal of the Indian Air Force Arjan Singh. Doctors are doing their best: PM Modi
— ANI (@ANI) September 16, 2017
वायु सेना ने ट्वीट में बताया कि शनिवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल लिया. 98 वर्षीय अर्जन सिंह को जब वायु सेना प्रमुख बनाया गया था तो उनकी उम्र उस वक्त महज 44 साल थी और आजादी के बाद पहली बार लड़ाई में उतरी भारतीय वायुसेना की कमान उनके ही हाथ में थी.
We hope he (Marshal of IAF Arjan Singh) will recover at the earliest. His condition remains critical: Defence minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/l9uxNmVvVz
— ANI (@ANI) September 16, 2017
अर्जन सिंह कभी रिटायर नहीं हुए
अर्जन सिंह सेना के 5 स्टार रैंक अफसर हैं. देश में पांच स्टार वाले तीन सैन्य अधिकारी रहे हैं, जिनमें से फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और फील्ड मार्शल के एम करियप्पा का नाम है, ये दोनों जीवित नहीं हैं. ये तीनों ही ऐसे सेनानी है, जो कभी सेना से रिटायर नहीं हुए.
चीन के खिलाफ युद्ध में थी अहम भूमिका
चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1963 में उन्हें वायु सेना उप-प्रमुख बनाया गया था. एक अगस्त 1964 को जब वायु सेना अपने आप को नई चुनौतियों के लिए तैयार कर रही थी, उस समय एयर मार्शल के रूप में अर्जन सिंह को इसकी कमान सौंपी गई थी.
19 साल की उम्र में पायलट ट्रेनिंग के लिए चयन
मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर जो अब पाकिस्तान के फैसलाबाद में पड़ता है और उन्होंने अपनी शिक्षा पाकिस्तान के मोंटगोमरी से पूरी की. अर्जन सिंह 19 वर्ष की उम्र में पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए थे.
आजादी के दिन लाल किले के ऊपर दिखा था अर्जन सिंह का कमाल
यही नहीं, अर्जन सिंह ने आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को वायु सेना के 100 से भी अधिक विमानों के लाल किले के ऊपर से फ्लाइ-पास्ट का भी नेतृत्व किया था. पाकिस्तान के खिलाफ जंग में उनकी भूमिका के बाद वायु सेना प्रमुख के रैंक को बढ़ाकर पहली बार एयर चीफ मार्शल किया गया, उन्हें नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है.