scorecardresearch
 

ईवीएम में कई खामियां, मतपत्र से हो मतदान- आडवाणी

इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की विश्वसनीयता पर कई सवाल उठ रहे हैं. आडवाणी के विरोध के बाद चुनाव आयोग और भी पशोपेश में है.

Advertisement
X

इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठ रहे हैं कई सवाल. ईवीएम के आंकड़ों से छेड़छाड़ की शिकायतें चुनाव आयोग के लिए जी का जंजाल बन गई हैं. खासकर विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी के विरोध के बाद चुनाव आयोग और भी पशोपेश में है.

एक अखबार को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने मांग की है कि ईवीएम की जगह अब चुनाव फिर पुराने तरीके यानी बैलेट पेपर के जरिए कराए जाएं. आडवाणी का कहना है कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले ही ये व्यवस्था लागू कर देनी चाहिए. दरअसल सारी दिक्कत ईवीएम में लगे साफ्टवेयर को लेकर है. माना जा रहा है कि ईवीएम के साफ्टवेयर से छेड़छाड़ की जा सकती है. जिसके बाद मशीन से पड़ने वाला हर पांचवा वोट किस विशेष उम्मीदवार को जाएगा इसका पता नहीं चल पाता.

Advertisement

दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल ने भी यही सवाल उठाए हैं. उनके मुताबिक चुनाव आयोग के तहत पूरा प्रशासनिक अमला आ जाता है, लेकिन मशीने बनाने वाली सरकारी कंपनियां और उनके सॉफ्टवेयर तैयार करने वाली कंपनियां सिरे से ही आयोग के तहत काम नहीं करतीं, लिहाजा उनमें गड़बड़ी की पूरी गुंजाइश है.

देश के अहम ओहदों पर रह चुके पूर्व अफसरों का भी कहना है कि ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव के अलावा बड़े ओहदों पर रह चुके कई लोगों ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं.  इनमें रिटायर्ड कैग अधिकारी रवि कठपालिया, भारत के पूर्व राजदूत केपी फेबियन, भारत सरकार की पूर्व सचिव आशा दास जैसे नाम शामिल हैं. इन लोगों का कहना है कि ईवीएम के नतीज़ों में हेर-फेर मुमकिन है. 

साफ्टवेयर प्रोफेशनल्स का भी कहना है कि अगर ईवीएम के प्रोग्राम में एक खास कोड टाइप कर दिया जाए तो वोट एक ही उम्मीदवार को मिलेंगे, भले ही वोटिंग मशीन पर कोई भी बटन दबाई जाए.

ईवीएम पर सवाल उठाने वाले लोगों का कहना है कि चुनाव के बाद ईवीएम की रैंडम ऑडिटिंग की जानी चाहिए. खास तौर पर उन वहां, जहां प्रतिद्वंदियों के बीच जीत का अंतर 15000 वोटों से ज्यादा का रहा है. जाहिर है बिहार और महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव से पहले आयोग को इन सवालों के जवाब देने चाहिए.

Advertisement
Advertisement