scorecardresearch
 

भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक संसद के अगले सत्र में

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आश्वासन दिया कि लंबित भूमि अधिग्रहण विधेयक को संसद के अगले सत्र में पेश किया जायेगा.

Advertisement
X

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आश्वासन दिया कि लंबित भूमि अधिग्रहण विधेयक को संसद के अगले सत्र में पेश किया जायेगा.

सिंह ने गांधी को यह आश्वासन तब दिया जब युवा नेता उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं और किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने आये थे. इन किसानों ने अलीगढ़ तथा आसपास के क्षेत्रों में उनकी भूमि जबर्दस्ती हथियाए जाने के खिलाफ हाल ही में विरोध प्रदर्शन किया था.

गांधी ने कहा, ‘भूमि अधिग्रहण एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है. अलीगढ़ में जो हुआ वह अनुचित था. हमें उस पर गौर करने की जरूरत है.’ भूमि अधिग्रहण विधेयक के लंबित रहने के बारे में पूछने पर गांधी ने कहा, ‘मैं इससे अवगत हूं.’

भूमि अधिग्रहण कानून 1994 में बदलाव करने के प्रस्ताव वाले इस संशोधन विधेयक 2007 को संप्रग की प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के पुरजोर विरोध के चलते रोककर रखा गया है.

Advertisement

{mospagebreak}विधेयक में ‘जन उद्देश्य’ को रक्षा, बुनियादी संरचना या आम जनता के लिये उपयोगी किसी परियोजना के लिये अधिग्रहित होने वाली भूमि के रूप में पुनर्परिभाषित करने का प्रस्ताव है. विधेयक कहता है कि जिस अधिग्रहण में व्यापक पैमाने पर विस्थापन होने वाला हो, ऐसे मामले में उसके सामाजिक प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिये.

प्रधानमंत्री से मिलने गये इस प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख रीता बहुगुणा जोशी, कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी और किसान शामिल थे. इन लोगों ने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा.

ज्ञापन कहता है, ‘वर्ष 1894 का भूमि अधिग्रहण अधिनियम अब भी देश में लागू है. आपके नेतृत्व के तहत सरकार ने बदलाव की कोशिश की लेकिन यह कोशिश अब तक सफल नहीं हो पायी. देश के लगभग हर राज्य में पुराना भूमि अधिग्रहण अधिनियम लागू है और उसका विरोध किया जा रहा है.’ ज्ञापन के मुताबिक, यह अधिनियम काफी पुराना है और वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अव्यावहारिक हो गया है.

{mospagebreak}इस मुद्दे पर कुछ विपक्षी दलों और किसानों के संसद का घेराव करने को लेकर पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘इसमें कोई तुक नहीं है. मैंने (रालोद प्रमुख) अजीत सिंह से बातचीत की और उन्हें बताया कि इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने में कोई तुक नहीं बनता.’ उन्होंने कहा कि अगर विरोध प्रदर्शन करना ही है तो उत्तर प्रदेश विधानसभा का घेराव करना चाहिये.

Advertisement

उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए सिंह ने कहा कि राज्य सरकार जिस तरह धमकाने के अंदाज में और एकतरफा समझौतों के तहत किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर रही है, हम उस तरीके का विरोध करते हैं.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अधिनियम की धारा 17 का दुरुपयोग कर जिस तरह भूमि अधिग्रहण कर रही है, उसे देखकर लगता है कि वह राज्य की 20 से 25 फीसदी भूमि अधिग्रहित कर लेगी.

Advertisement
Advertisement