भारत ने फिर अपने इस रुख को दोहराया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के दरवाजे उसने बंद नहीं किये हैं और आतंकवाद से मुक्त माहौल में ही पड़ोसी देश के साथ सार्थक वार्ता संभव है.
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने राज्यसभा को बताया कि सरकार निरंतर यह कहती रही है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत के दरवाजे कभी बंद नहीं किये गये हैं. पाकिस्तान के साथ सार्थक बातचीत केवल आतंकवाद से मुक्त माहौल में ही संभव है.
उन्होंने मणिशंकर अय्यर के पूछे सवाल के लिखित जवाब में कहा कि वर्ष 2004 में समग्र वार्ता पाकिस्तान के इस आश्वासन पर शुरू की गयी थी कि वह अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिवधियों के लिये नहीं होने देगा.
उन्होंने कहा कि नवंबर 2008 में मुंबई हमलों के बाद यह वार्ता रोक दी गयी लेकिन बाद की अवधि में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के स्तर पर पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ बातचीत हुई. फिर अप्रैल 2010 में थिम्पू में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और विदेश सचिवों को विचार विमर्श करने और आपसी संबंधों में विश्वास बहाली के तौर-तरीके तैयार करने को कहा गया.
कृष्णा ने शोभना भरतिया और टी. सुब्बारामी रेड्डी के सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को बताया कि गत 29 अप्रैल को विदेश सचिव निरुपमा राव ने इस्लामाबाद दौरा कर विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा की पृष्ठभूमि तैयार की. इस दौरान दोनों देशों के विदेश सचिवों ने आपसी भरोसे में इजाफा करने के तौर-तरीकों पर चर्चा की ताकि आपसी चिंता वाले सभी मुद्दों पर ठोस वार्ता का मार्ग प्रशस्त किया जा सके.
{mospagebreak}उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों में अमेरिका की राय के बारे में पूछे गये टी. सुब्बारामी रेड्डी के एक अलग सवाल के लिखित जवाब में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता द्विपक्षीय मुद्दा है.
अमेरिकी प्रशासन निरंतर यह कहता रहा है कि दोनों देशों के बीच मुद्दों का हल द्विपक्षीय तरीके से ही निकाला जाना चाहिये. कृष्णा ने कहा कि हम अमेरिका को अपनी इस चिंता से अवगत करा चुके हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद निरोधी अभियानों के लिये अमेरिका से मिल रही सैन्य मदद को परिवर्तित कर पारंपरिक हथियार खरीद सकता है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने अमेरिका और अन्य देशों का ध्यान इस ओर आकषिर्त कराया है कि पाकिस्तान को मुहैया होने वाली मदद को परिवर्तित कर उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ सैन्य तैयारी के लिये नहीं हो, इसके लिये जवाबदेही निर्धारित करने की जरूरत है.
कृष्णा और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की मौजूदगी में हुई भारत-अमेरिका सामरिक वार्ता के बारे में उन्होने कहा कि इस बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने एशिया में स्थिरता लाने और सुरक्षा बढ़ाने के साझा उद्देश्य को दोहराया था.