बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को यह साफ कर दिया कि वह 26 नवंबर के मुंबई हमलों में भूमिका के लिए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की सजाए मौत की पुष्टि से संबंधित मामले पर 18 अक्तूबर से रोजाना के आधार पर सुनवाई करेगा.
न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति आर. वी. मोरे ने कहा, ‘हम इस मामले को सर्वोच्च तरजीह देंगे और जब तक इस मामले की अंतिम सुनवाई पूरी नहीं हो जाती और मामला निबटा नहीं दिया जाता हम तब तक 18 अक्तूबर से किसी और मामले की सुनवाई नहीं करेंगे.’ खंडपीठ ने सरकार के वकील उज्ज्वल निकम और कसाब के वकील अमीन सोलकर से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वह उपस्थित रहेंगे और सुनवाई स्थगित करने का आग्रह नहीं करेंगे.
न्यायाधीशों ने वकीलों से कहा, ‘हम इस मामले को यथासंभव शीघ्र समाप्त करना चाहते हैं. इसलिए कृपया सहयोग करें.’ कसाब ने एक अपील भी दायर की है जिसमें उसे सुनाई गई सजा-ए-मौत को चुनौती दी गई है. सरकार ने भी निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक अपील दायर की है जिसमें इस आदेश पर फहीम अंसारी और सबाहुद्दीन अहमद को बरी कर दिया गया कि उनके खिलाफ सबूत ‘संदिग्ध’ हैं.
उच्च न्यायालय इन दो अपीलों के साथ ही कसाब को सुनाई गई सजा-ए-मौत की पुष्टि से संबंधित मुद्दे पर सुनवाई करेगा. पीठ ने आदेश दिया है कि सुनवाई के दौरान अदालत में कसाब की हाजिरी की जरूरत नहीं है और उसकी जान को खतरा होने के मद्देनजर वह वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पेश हो सकता है. अदालत ने राज्य को आदेश दिया है कि वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से कसाब की पेशी सुनिश्चित करने के लिए वह अदालत में और जेल में दोनों जगह इस सुविधा का इंतजाम करे.