अफगानिस्तान में भारतीयों को आतंकवादी हमलों का निशाना बनाने की नवीनतम घटना की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने शुक्रवार को अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात करके करीब 4000 भारतीयों की सुरक्षा के मुद्दे पर विचार विमर्श किया.
दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार सुबह काबुल पहुंचे मेनन ने अफगानिस्तान में विकास और पुनर्निर्माण की विभिन्न परियोजनाओं से जुड़े भारतीय लोगों की सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर करजई के साथ विस्तार से विचार विमर्श किया. मेनन ने अफगानिस्तान में अपने समकक्ष रंगीन ददफार स्पान्ता से भी मुलाकात की और 26 फरवरी को हुए काबुल हमले की जांच पड़ताल में हुई प्रगति के बारे में पूछा.
इस हमले में भारतीयों को खासतौर पर निशाना बनाया गया था. निशाना उस गेस्ट हाउस को बनाया गया था जहां भारतीय नियमित रूप से आते जाते थे. इस हमले में सेना में मेजर रैंक के तीन अधिकारियों समेत सात भारतीय मारे गए थे. अफगानिस्तान में नवीनतम हमले के बाद भारतीयों की सुरक्षा को लेकर चिंतित भारतीय सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए कुछ प्रस्ताव रखे हैं.
प्रस्तावों में यह भी शामिल है कि विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत भारतीयों के रहने के लिए सुरक्षित ठिकाने तैयार किए जाएं. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जिन जगहों पर भारतीय काम करते हैं, वहां सुरक्षा बलों को तैनात किया जाए. अफगानिस्तान के अधिकारी इन प्रस्तावों को अमल में ला सकते हैं. भारत सरकार के सूत्रों ने उल्लेख किया है कि इस संबंध में अफगानिस्तान सरकार का रवैया हमेशा सहयोग भरा रहा है.
उन्होंने भरोसा जताया कि भारतीयों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए अफगानिस्तान की सरकार और कदम उठाएगी. उल्लेखनीय है कि भारत ने अफगानिस्तान को 1.3 अरब अमेरिकी डालर की मदद दी है. इसके तहत लगभग 4000 भारतीय यहां स्वास्थ्य, उर्जा, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों की विभिन्न परियोजनाओं में काम कर रहे हैं. आतंकवादियों ने 26 फरवरी को हुए हमले में अपनी बदली हुई नीति का मुजाहिरा किया.
पहले वह दूतावास या वाणिज्यिक दूतावास जैसे सुरक्षित ठिकानों को निशाना बनाते थे लेकिन अब उन्हें ‘सॉफ्ट टॉरगेट’ या आसान चारे की तलाश है. आतंकवादी हमले के बाद करजई ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भरोसा दिलाया था कि भारतीयों की सुरक्षा के लिए उनकी सरकार अतिरिक्त उपाए करेगी. अफगानिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि इन हमलों को पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा के लड़ाके अंजाम देते हैं. बहरहाल, जांचकर्ताओं संदेह है कि इसमें तालिबान के हक्कानी धड़े का भी हाथ है.