फल एवं सब्जियों के दाम एक महीने पहले की तुलना में अप्रैल में कुछ नीचे आने से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति की दर नरम पडकर 9.59 प्रतिशत रह गई.
मार्च 2010 में मुद्रास्फीति 9.90 प्रतिशत पर थी, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह 1.31 प्रतिशत दर्ज की गई थी. मुद्रास्फीति में आई इस नरमी के बाद फिलहाल अर्थशास्त्रियों को रिजर्व बैंक की और से नीतिगत ब्याज दरों में कारवाई की उम्मीद नहीं लगती है.
उपलब्ध आंकडों के अनुसार मार्च के मुकाबले फल, प्याज, गेहूं और अनाज के दाम कुछ घटने के कारण अप्रैल में सकल मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख बना है. जबकि समूह वार मुद्रास्फीति में खाद्य वस्तुओं पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 16.87 प्रतिशत और ईंधन समूह में 12.55 प्रतिशत रही.
अप्रैल में आलू के दाम 28.70 प्रतिशत और प्याज के दाम 11.62 प्रतिशत नीचे आ गये. इसके विपरीत लोहा और इस्पात के दाम अप्रैल में 11.40 प्रतिशत बढ़ गये. कोलकाता में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट आने से पहले यह अगले तीन महीने में ऊपर नीचे होगी. मुद्रास्फीति में नरमी आने से अर्थशास्त्रियों को रिजर्व बैंक की ओर से तत्काल किसी नीतिगत कार्रवाई की उम्मीद नहीं दिखती क्योंकि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अनुमान से थोड़ी कम रही, जबकि यूरोपीय देशों में ऋण संकट से पूंजी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है.
मुख्य सांख्यिकी विद प्रणव सेन ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति की तेजी अन्य क्षेत्रों में भी फैलने की आशंका अब भी बनी हुई है. इसमें नरमी आने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा. मुझे उम्मीद है कि इसके बाद मुद्रास्फीति में नरमी का रुख बनेगा.’ स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख (अनुसंधान) समिरन चक्रबर्ती ने कहा, ‘वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और मार्च में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अनुमान से कम रहने से रिजर्व बैंक कोई अप्रत्याशित कदम नहीं उठाएगा.
चीनी के दाम भी अप्रैल में नीचे आये हैं. आंकडों के अनुसार मार्च के मुकाबले अप्रैल में चीनी के दाम 5.74 प्रतिशत नीचे आये हैं. हालांकि एक साल पहले की तुलना में चीनी अभी भी महंगी बनी हुई है. आलू के दाम भी अप्रैल में 28.70 प्रतिशत और प्याज के दाम 11.62 प्रतिशत तक घटे हैं. पिछले वर्ष नवंबर से सरकार ने थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति के मासिक आंकडे जारी करने शुरू कर दिये थे, जबकि प्राथमिक वस्तुओं और ईंधन समूह के आंकडे साप्ताहिक आधार पर जारी किये जाते हैं.