भारतीय रेलवे ने निजीकरण की दिशा में एक और कदम उठाया है. रेलवे ने दो राजधानी ट्रेनों में पार्सल लाने और ले जाने काम अमेजन इंडिया को सौंप दिया है. अमेजन इंडिया को यह काम पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिया गया है. अभी उसे यह काम एक महीने के लिए सौंपा गया है. अगर सब कुछ ठीक रहता है तो अमेजन इंडिया को अगले 2 महीनों के लिए भी पार्सल लाने और ले जाने की अनुमति दे दी जाएगी. वहीं कर्मचारी यूनियन ने रेलवे के इस कदम का विरोध किया है.
दरअसल, सियालदह एक्सप्रेस और मुंबई एक्सप्रेस राजधानी ट्रेनों में 11 एसएलआर कोच लगा हुआ है, जिसमें पार्सल लाए और ले जाए जाते हैं. अभी रेलवे ने इसके लिए एजेंट रखे हुए हैं. रेलवे स्टेशन पर भी पार्सल की बुकिंग की जाती है. एसएलआर डिब्बे में 4 टन की क्षमता का पार्सल स्पेस होता है. इस स्पेस में से 2.5 टन पार्सल स्पेस रेलवे ने अमेजन इंडिया को दे दिया गया है. बचे हुए 1.5 टन में रेलवे की तरफ से पार्सल की बुकिंग की जाएगी. अमेजन इंडिया को दिए गए इस स्पेस के बारे में रेलवे बोर्ड ने ईस्टर्न रेलवे, वेस्टर्न रेलवे और नॉर्दन रेलवे को निर्देश जारी किए हैं.
अमेजन इंडिया के साथ पार्सल करार के तहत रेलवे को फ्रेट चार्ज मिलेगा. एक महीने तक इस सेवा के रिस्पॉन्स को देखा जाएगा. इसकी रिपोर्ट जोनल रेलवे के द्वारा रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी. अगर सब कुछ ठीक रहता है यानी पार्सल के जरिए रेवेन्यू में बढ़ोत्तरी होती है तो रेल मंत्रालय पार्सल बिजनेस के निजीकरण की घोषणा कर देगा.
वहीं भारतीय रेलवे की पार्सल सेवा को अमेजन इंडिया को दिए जाने का विरोध भी शुरू हो गया है. स्टेशन पर लोडिंग और अनलोडिंग का काम करने वाली निजी कंपनियों की यूनियन ने रेलवे के इस फैसले पर विरोध की घोषणा की है. भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर यूनियन के पदाधिकारियों ने इस बात पर एतराज जताया है कि अमेजन इंडिया को बिना किसी टेंडर के काम सौंप दिया गया है.
यूनियन का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो देशभर में हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. रेलवे के इस कदम का विरोध करने के लिए यूनियन ने 31 जुलाई और 1 अगस्त को नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाली सभी ट्रेनों में माल की लोडिंग और अनलोडिंग नहीं करने का फैसला लिया है.