scorecardresearch
 

हाथियों को बचाने के लिए मधुमक्खी का सहारा, रेलवे ने बनाया खास प्लान

हाथियों के ट्रेन से टकराने से  अकसर हादसे होते रहते हैं. इन हादसों से निपटने के लिए भारतीय रेलवे ने एक खास उपकरण बनाया है.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

देश के पूर्वोत्तर हिस्से में आए दिन ट्रेन की चपेट में आने से हाथियों की मौत की खबरें हमें सुनने को मिलती रहती हैं. ये खबरें और आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं. लेकिन अब रेलवे ने इस दिशा में पहल की है. इसके लिए उन्होंने Plan Bee बनाया है. इस  प्लान के तहत रेलवे ने मधुमक्खियों का सहारा लिया है.

दरअसल,  रेलवे ने हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने के लिए "Plan Bee" के तहत रेलवे-क्रासिंग पर ऐसे ध्वनि यंत्र लगाए हैं, जिनसे निकलने वाली मधुमक्खियों की आवाज से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और ट्रेन हादसों की चपेट में आने से बचते हैं. दिलचस्‍प बात ये है कि इस पहल के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.

अब तक 61 हाथियों की मौत

रेल मंत्रालय के डायरेक्टर इनफार्मेशन एंड पब्लिसिटी पब्लिसिटी आरडी बाजपेई ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि पूर्वोत्तर भारत में पिछले 5 साल में ट्रेनों से टकराने की वजह से 61 हाथियों की मौत हुई है. देश के दूसरे इलाकों - उत्तराखंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी हाथियों की एक बड़ी संख्या रहती है. इन हाथियों की वजह से कई बार रेलवे की आवाजाही पर असर पड़ा है. कई जगहों पर हाथियों की मौत की खबरें आती रहती हैं.

Advertisement

उन्‍होंने बताया कि असम के रंगिया डिवीजन के डीआरएम में खास पहल करते हुए हाथियों को मधुमक्खी की आवाज से भगाने का प्रस्ताव रखा.  इसके लिए कई बार प्रयोग किए गए और यह प्रयोग काफी हद तक सफल हैं.  असम के रंगिया डिवीजन में 12 जगहों पर मधुमक्खी की आवाज के जरिए हाथियों को दूर भगाया जा रहा है. इससे रेलवे की आवाजाही आसान हो गई है और हाथियों की जिंदगी भी सुरक्षित है.

कीमत महज 2 हजार रुपये

डायरेक्टर इंफॉर्मेशन इन पब्लिसिटी ने यह भी बताया यह भी बताया कि हाथियों को दूर भगाने के लिए  बनाई गई  यह डिवाइस  देश के दूसरे हिस्सों में भी जल्द लगाई जाएगी. इसको रेल मंत्रालय ने ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगाने की तैयारी  की  है. जल्द ही इन इलाकों में उपकरण को लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि उपकरण की लागत महज 2000 रुपये है. कम कीमत के उपकरण से मिली इतनी बड़ी सफलता से रेल मंत्रालय काफी उत्साहित है.

Advertisement
Advertisement