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आर्मी ने जताई चिंता, सेना जैसी वर्दी का पुलिस और CAPF न करें इस्तेमाल

भारतीय सेना ने ऐसे पोशाक के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा कि आज हमारा देश राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की लगातार निगरानी में रहता है.  आर्मी की वर्दी का पुलिस और CAPF द्वारा इस्तेमाल से ये संदेश जा सकता है कि चुनाव और आंतरिक सुरक्षा जैसे कामों के लिए सेना की मदद ली जा रही है.

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जम्मू-कश्मीर में तैनात भारतीय सेना के जवान (फाइल फोटो- पीटीआई)
जम्मू-कश्मीर में तैनात भारतीय सेना के जवान (फाइल फोटो- पीटीआई)

  • सेना से मिलती-जुलती वर्दी की बिक्री पर आर्मी चिंतित
  • वर्दी से जुड़ी तस्वीरों का हो सकता है गलत इस्तेमाल
  • सेना की 'वर्दी' की बिक्री नियंत्रित करने की मांग

इंडियन आर्मी ने कहा कि राज्यों की पुलिस और CAPF (Central Armed Police Forces) को सेना से मिलती जुलती वर्दी का इस्तेमाल ड्यूटी के दौरान नहीं करना चाहिए. सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि कुछ दिनों से  CAPF और राज्य की पुलिस युद्ध के दौरान पहने जाने वाली पोशाक का इस्तेमाल कर रही है.

सेना का कहना है आम लोग इस वर्दी और सेना की वर्दी में अंतर का पता नहीं लगा पाते हैं. इससे कई लोगों के बीच ये संदेश जाता है कि शहरों और नगरों में ऐसे पोशाक पहनकर ड्यूटी कर रहे लोग आर्मी के जवान हैं. इससे ये मैसेज जाता है कि भारत में आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना की सहायता लेनी पड़ रही है.

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तस्वीरों का हो सकता है गलत इस्तेमाल

सेना ने ऐसे पोशाक के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा है कि आज हमारा देश राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की लगातार निगरानी में रहता है.  आर्मी की वर्दी का पुलिस और CAPF द्वारा इस्तेमाल से ये संदेश जा सकता है कि चुनाव और आंतरिक सुरक्षा जैसे कामों के लिए सेना की मदद ली जा रही है. इससे एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को धब्बा लग सकता है और ये हमारे राष्ट्रीय हित के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.

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इसलिए भारतीय सेना इस चिंता से समय-समय पर रक्षा मंत्रालय को आगाह करती रहती है. ताकि रक्षा मंत्रालय इन बातों को गृह मंत्रालय के संज्ञान में लाए.

गृह मंत्रालय जारी कर चुका है एडवाइजरी

सेना ने कहा कि 2004 में जब ये मुद्दा सामने आया था, तब रूटीन के कामों के लिए और चुनाव की ड्यूटी के दौरान राज्यों की पुलिस और CAPF ने सेना से मिलती-जुलती पोशाक पहनी थी. तब रक्षा मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के सामने इस मुद्दे को उठाया था, इसके बाद गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि  CAPF को ऐसे ड्रेस नहीं पहनने चाहिए.

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सेना ने 24 फरवरी 2020 को एक बार फिर से रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा और कहा है कि वे इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करें कि सेना द्वारा पहनी जाने वाली ड्रेस को CAPF तब न पहनें जब उसकी तैनाती लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को संभालने के लिए की जाए. इसके अलावा आतंकवाद जैसे मुद्दों से प्रभावित शहरी इलाकों में भी तैनाती के दौरान CAPF इन वर्दियों का इस्तेमाल न करें.

नियंत्रित हो वर्दी की बिक्री

सेना ने कहा है कि आर्मी की वर्दी से अलग पोशाकों का इस्तेमाल नक्सल प्रभावित जंगलों तक सीमित रखा जाना चाहिए. सेना का मानना है कि पुलिस और CAPF की बुलेट प्रूफ जैकेट खाकी रंग की होनी चाहिए.

खुले बाजार में सेना की वर्दी से मिलते-जुलते पोशाकों की बिक्री पर रोक लगाई जानी चाहिए. निजी विक्रेताओं को सेना से मिलते-जुलते वर्दी को बेचने वाले लोगों का हिसाब रखना चाहिए.

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