आयकर विभाग ने आज इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से जुड़ी कंपनियों के परिसरों पर छापा मारा. आयकर विभाग के ये छापे ऐसे समय मारे गये जब इस तरह के आरोप सामने आये कि आईपीएल प्रसारण की मार्केटिंग एजेंसी वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को प्रसारण एजेंसी मल्टी स्क्रीन मीडिया ने करीब 8 करोड़ डॉलर का सुविधा शुल्क दिया था.
आयकर विभाग के ये छापे आज प्रात शुरु हुए. छापे की कार्रवाई मुंबई के उपनगरीय इलाके मालाड़ में आईपीएल की प्रसारण एजेंसी मल्टी स्क्रीन मीडिया के कार्यालय, आईपीएल की मार्केटिंग एजेंसी वर्ल्ड स्पोर्टस् ग्रुप, आयोजन एजेंसी इंटरनेशनल मैनेजमेंट ग्रुप और वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप के मुख्यकार्याधिकारी वेणु नायर के बांद्रा हाउस पर छापे की कार्रवाई चल रही थी.
कारवाई से जुडे एक नजदीकी सूत्र ने बताया विभाग की यह कारवाई मल्टी स्क्रीन मीडिया (पूर्व में सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन) द्वारा वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को दी गई आठ करोड़ डॉलर के तथाकथित सुविधा शुल्क को लेकर ही की गई है. विभाग के करीब 20 अधिकारी छापों की इस कारवाई में शामिल हैं.
आरोपों से घिरी वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) ने कल यहां दावा किया कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया और वह अपनी साख को बनाये रखने के लिये उचित कारवाई करेगी. कंपनी ने यह जारी एक वक्तव्य में कहा है कि इस तह के आरोप कि डब्ल्यूएसजी ने अधिकारों के लाईसेंस देने के मामले में अवैध और अनुचित तरीके से किसी तरह के धन का इस्तेमाल किया, ये आरोप पूरी तरह निराधार और बिना किसी तर्क के हैं.
{mospagebreak}डब्ल्यूएसजी को वर्ष 2008 में 10 साल के लिये आईपीएल के टेलिविजन प्रसारण अधिकार मिले थे. डब्ल्यूएसजी ने इसके लिये 91 करोड़ 80 लाख डॉलर की बोली लगाई थी और साथ में 10 करोड़ 80 लाख डॉलर आयोजन पर खर्च करने का भी वादा किया था. उसने मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) के साथ इसका भी समझौता किया था कि वह सोनी को आधिकारिक प्रसारक बनायेगा. लेकिन आईपीएल-2 शुरु होने से दो महीने पहले ही यह सौदा रद्द कर दिया गया और यह नये सीरे से तय हुआ जिसमें एमएसएम ने नौ साल के लिये 1.63 अरब डॉलर की राशि देने पर सहमति जताई. आयकर सूत्रों का कहना है कि एमएसएम ने डब्ल्यूएसजी की मारीशस स्थित विदेशी कंपनी को आईपीएल ठेके की राशि का 7.5 प्रतिशत सुविधा शुल्क देने पर सहमति जताई थी. यह राशि करीब 8 करोड़ डॉलर बनती है.
सूत्रों ने बताया कि 14 अप्रैल 2009 को एमएसएम ने सिंगापुर के डेवलपमेंट बैंक से डब्ल्यूएसजी को एक करोड़ 53 लाख डॉलर और 26 जून 2009 को एक करोड़ 02 लाख डॉलर दो अलग अलग किस्तों में राशि भेजी.
सूत्रों ने कहा कि जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को इस सौदे के बारे में पता चला तो उन्होंने डब्ल्यूएसजी के मुख्यकार्याधिकारी वेणु नायर को जानकारी देने को बुला भेजा.