क्या अपने परमाणु हथियारों को लेकर हम मुगालते में हैं? क्या भारत के परमाणु हथियार उतने कारगर नहीं जितना की हम मानते रहे हैं या जितना कि सरकार ने दावा किया है? पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षण से जुड़े एक वैज्ञानिक ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि हाइड्रोजन बम का परीक्षण पूरी तरह कामयाब नहीं हुआ था.
परमाणु शक्ति संपन्न भारत
13 मई 1998 को पोखरण में धरती के नीचे उठी एक हलचल ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. दुनिया अभी इस धमाके की ताकत का अंदाजा लगाने में ही जुटी थी कि पोखरन की धरती एक बार फिर हिली. भारत ने दो और परमाणु परीक्षण कर डाले. पहले परमाणु परीक्षण के 24 सालों के बाद हुए इन पांच धमाकों ने भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों की कतार नें ला खड़ा किया जिनके पास परमाणु बम की कारगर और भरोसेमंद तकनीक है. कम से कम सरकार ने दावा तो यही किया. लेकिन ये सिर्फ आधा सच है. ये हकीकत का सिर्फ एक पहलू है. दूसरा पहलू वो है जो इस परमाणु परीक्षण से बेहद करीब से जुड़े रहे वैज्ञानिक के संथानम कह रहे हैं.
ऑपरेशन शक्ति के बाद सरकार ने दावा किया था कि इस परीक्षण के जरिए भारत ने परमाणु बम की पूरी तकनीक हासिल कर ली है. और न सिर्फ न्युक्लियर फीजन बम बल्कि उससे कई गुणा ताकतवर फ्यूजन बम यानी हाइड्रोजन बम बनाने का फॉर्मूला भी आजमा लिया है.
भारत के पास सिर्फ परंपरागत परमाणु बम की ही तकनीक
लेकिन पोखरन-2 के 11 साल बाद परमाणु वैज्ञानिक के संथानम का दावा हमारे इस मुगालते को तोड़ने के लिए काफी है. के संथानम के मुताबिक भारत के पास सिर्फ न्युक्लियर फीजन बम यानी परंपरागत परमाणु बम की ही तकनीक है. हमारे पास फ्यूजन बम यानी कि ताकतवर हाइड्रोजन बम की भरोसेमंद तकनीक नहीं है. संथानम का दावा है कि पोखरन-2 में जिस थर्मोन्युक्लियर डिवाइस को टेस्ट किया गया था वो उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा.
के संथानम के दावे को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं क्योंकि संथानम भारत के दूसरे दौर के परमाणु परीक्षण यानी पोखरन-2 के कोऑर्डिनेटर थे और संथानम के दावे पर यकीन करें तो भारत परमाणु हथियार संपन्न बाकी देशों के मुकाबले अब भी काफी पीछे है.
चारो तरफ से खतरों से घिरा है भारत
भारत चारो तरफ से परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसियों से घिरा हुआ है. ऐसे में संथानम का चौंकाने वाला खुलासा इस सवाल के साथ भी जुड़ गया है कि क्या भारत के परमाणु हथियार पाकिस्तान से भी कमतर हैं. क्योंकि ये बात किसी से छिपी नहीं कि पाकिस्तान का परमाणु हथियार असल में पूरी तरह चीन की नकल है.
चीन और पाकिस्तान दोनों से हुई है जंग
भारत अतीत में चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ जंग लड़ चुका है. पाकिस्तान के साथ भारत का रिश्ता जगजाहिर है और चीन लगातार धौंस जमाने की कोशिश करता रहा है. ऐसे में भारत के पास कारगर परमाणु हथियार की तकनीक के नहीं होने की खबर ऐसी है जिसे खारिज नहीं किया जा सकता.
चीन को महारथ हासिल
चीन ने न्युक्लियर फीजन बम के साथ साथ फ्यूजन यानी हाइड्रोजन बम बनाने में भी महारथ हासिल कर रखी है और विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की मदद से पाकिस्तान भी हाइड्रोजन बम की तकनीक का परीक्षण कर चुका है.
भारत के परमाणु कार्यक्रम में कई बड़ी कमियां
भारत के पोखरन-2 परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक के संथानम की मानें तो हमारे परमाणु कार्यक्रम में अब भी कई बड़ी कमियां है. और जरूरत इसे और धारदार बनाने की है. के संथानम के मुताबिक हाइड्रोजन बम की तकनीक ऐसी नहीं कि एक परीक्षण में कोई इसमें महाऱथ हासिल कर ले. ऐसे में थर्मोन्युक्लियर डिवाइस के और परीक्षण की जरूरत है.
परमाणु परीक्षण नहीं करने का ऐलान
भारत के पोखरन-2 परमाणु अभियान से जुड़े के संथानम का मानना है कि न्युक्लियर फ्यूजन बम की तकनीक तभी पूरी तरह कारगर मानी जा सकती है जब दुनिया भर में मौजूद सिस्मिक डिवाइस इस बात की तस्दीक करें. और पहले परीक्षण में भारत कमोबेश नाकाम हो चुका है. लेकिन गौरतलब है कि भारत ने आगे और परमाणु परीक्षण नहीं करने का ऐलान कर रखा है. ऐसे में हमारी परमाणु तैयारियों को लेकर संदेह बना रहेगा.