गुजरात दंगों में नरोदा पटिया मामला काफी संवेदनशील रहा, ऐसा इसलिए क्योंकि इस मामले में राजनीतिक रूप से कुछ मजबूत लोगों को कोर्ट से सजा मिली थी. इस मामले में सजा देने वाली जज ज्योत्सना याग्निक को धमकी भरे खत और देर रात उनके घर पर ब्लैंक फोन कॉल्स आते रहते हैं.
अगस्त 2012 में नरोदा पटिया मामले में स्पेशल जज ज्योत्सना याग्निक ने गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी के साथ-साथ 30 लोगों को सजा सुनाई थीं. अब सेवानिवृत हो चुकीं जज ज्योत्सना याग्निक ने सुप्रीम कोर्ट के विशेष जांच दल को बताया है कि उन्हें 22 धमकी भरे खत मिल चुके हैं और घर पर ब्लैंक फोन कॉल्स आते रहते हैं.
इतने संवेदनशील मामले पर फैसला सुनाने के बाद जज ज्योत्सना याग्निक को जेड-प्लस सुरक्षा दी गई थी. अब उनकी सुरक्षा घटा कर वाई कैटिगरी की कर दी गई है. विशेष जांच दल को ज्योत्सना याग्निक ने बताया कि धमकी भरे खत बेनामी होते हैं लेकिन वह किसी प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन के लेटर हेड पर लिख कर भेजा जाता है. इसके अलावा उन्होंने रात में ब्लैंक फोन कॉल्स की भी शिकायत की है.
विशेष जांच दल के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ने जब इस मामले पर बताया कि पिछले 6-8 महीनों में ऐसी किसी धमकी की जानकारी उन्हें नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि जज ज्योत्सना याग्निक द्वारा जेड-प्लस सुरक्षा की मांग सरकार के पास लंबित है. हालांकि विशेष जांच दल के एक अधिकारी और सेवानिवृत डीआईजी ए.के. मल्होत्रा जज याग्निक को मिल रही धमकी पर सहमति जताई है.
आपको बता दें कि नरोदा पटिया दंगे में 97 मुस्लिम लोगों को मार दिया गया था. इस मामले में बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास (जीवन-काल तक) की सजा सुनाई गई थी.