अनाज दाल और आलू प्याज में मूल्यवृद्धि की रफ्तार कुछ धीमी पडने के साथ ही गत 13 मार्च को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति एक सप्ताह पहले की तुलना में 0.08 प्रतिशत घटकर 16. 22 प्रतिशत रह गई.
खाद्य मुद्रास्फीति का यह पिछले चार महीने का न्यूनतम स्तर है. बहरहाल, यह मुश्किल ही लगता है कि खाद्य पदाथों की मुद्रास्फीति में आई इस नरमी से मार्च में सकल उपभोक्ता वस्तुओं के थोक मूल्यों सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दहाई अंक की सीमा को पार नहीं करेगी.
फरवरी में यह पहले ही 9.89 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. मार्च में इसके दहाई अंक पर पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है. खाद्य मुद्रास्फीति का असर अब दूसरे समूहों में दिखने लगा है. बजट में पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद एवं आयात शुल्क बढ़ाने के सरकार के फैसले के बाद सप्ताह के दौरान वर्ष दर वर्ष आधार पर पेट्रोल के दाम 16.82 प्रतिशत, डीजल 14.99 प्रतिशत ऊंचे रहे.
एचडीएफसी बैंक की अर्थशास्त्री ज्योतिंदर कौर ने कहा ‘खाद्य मुद्रास्फीति तो आने वाले महीनों में नरम पडेगी लेकिन ईंधन और विनिर्माण समूह की मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, मेरा अनुमान है कि मार्च में सकल मुद्रास्फीति की दर 11 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी.’
उधर, सरकार का अनुमान है कि खाद्य पदार्थों की महंगाई रबी मौसम की फसल की भरपूर आवक शुरू होने के साथ ही नीचे आने लगेगी. लेकिन अब सरकार को महंगाई का असर दूसरे समूहों में जाने की चिंता सता रही है. वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को चंढीगढ़ में सरकार की इस मंशा को व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की महंगाई तो घट रही है लेकिन महंगाई का असर अब दूसरे समूहों में जाने का खतरा बना हुआ है.