उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के जंगलों में भीषण आग लगने की खबर है. आग की सूचना पाकर मौके पर दमकल विभाग की कई गाड़ियां पंहुची हैं. डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर(डीएफओ) संदीप कुमार के मुताबिक भीषण आग पर काबू पाने के लिए 165 दमकल कर्मी मौके पर तैनात हैं. 250 से ज्यादा स्टाफ मौके पर सक्रिय है. पुलिस और फायर डिपार्टमेंट बैकअप के लिए पहले से तैयार हैं. 25 जगहों पर आग को बुझाया जा चुका है. इस दौरान 250 हेक्टेयर की भूमि पर फैली आग बुझाई जा चुकी है.
12 मई तक प्राप्त आंकडों के मुताबिक 595 आग के मामले सामने आ चुके हैं. अकेले टिहरी गढ़वाल में आग लगने के 70 मामले में सामने आए हैं. सभी 13 जिलों के पहाड़ी जंगलों में आग लगने के मामले सामने आए हैं. आग की वजह से 287 हेक्टेयर की जमीन 12 मई तक प्रभाविक हो चुकी है. सबसे ज्यादा आग लगने के मामले अल्मोड़ा जिले से सामने आए हैं.
जंगल-जंगल आग लगी है...साल में लाखों बार लगी है...
उत्तराखंड में इन दिनों जंगल की आग विकराल रूप धारण कर रही है. पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल और चंपावत जिलों में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर आग भड़कने की सूचना है.
उत्तराखंड के जंगलों में गर्मी शुरू होने के बाद से अब तक 720 से ज्यादा आग लगने की घटना सामने आ चुकी है, जिससे करीब 1000 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इनमें से 168 आग की घटनाएं बड़ी हैं.Uttarakhand: Fire-fighting ops continue in the forests of Uttarkashi; Sandeep Kumar, Divisional Forest Officer (DFO), says, "165 fire watchers deployed, our 250 staff also at work. Police & Fire dept also on back up. Controlled 25 fires at its source, saving 250 hectares of land" pic.twitter.com/Lo3Mhd2z3X
— ANI (@ANI) May 29, 2019
जंगल में आग लगने से हर साल करीब 550 करोड़ रुपए का नुकसान देश को होता है. जबकि, जंगल की आग के प्रबंधन के लिए जारी किए गए फंड में से सिर्फ 45 से 65% राशि का उपयोग ही नहीं होता.
जंगल में आग लगने के बड़े कारण
जंगल में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें जलती सिगरेट फेंकना, इलेक्ट्रिक स्पार्क, आग पकड़ने वाली वस्तुएं, घास हटाने के लिए जंगल में रह रहे लोगों द्वारा लगाई गई आग आदि. इनके अलावा बिजली गिरने से, गिरते पत्थरों की रगड़ से, सूखे बांस या पेड़ों की आपसी रगड़ से, ज्यादा तापमान और सूखा शामिल है.