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जिस एयरबेस पर दो बार पाक ने बरसाए थे गोले, वो होगा राफेल का नया घर

भारतीय वायुसेना ने राफेल का स्वागत करने के लिए बुनियादी ढांचे और पायलटों के प्रशिक्षण सहित अपनी तैयारी पूरी कर ली है. एयरक्राफ्ट का पहला दस्ता वायुसेना के रणनीतिक रूप से सबसे अहम ठिकानों में से एक माने जाने वाले अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा.

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राफेल बुधवार सुबह भारतीय धरती पर कदम रखेगा
राफेल बुधवार सुबह भारतीय धरती पर कदम रखेगा

  • 1965-1971 के युद्ध में एयर बेस पर हमला कर चुका पाक
  • 1948 में उड़ान प्रशिक्षक स्कूल के रूप में भी काम किया

फाइटर जेट राफेल भारत आ रहा है और भारतीय वायुसेना में शामिल इस नवीनतम जेट विमान का घर होगा अंबाला एयरफोर्स स्टेशन. यह एयरफोर्स स्टेशन देश का सबसे पुराना एयरबेस है.

इस एयरबेस का इतिहास आजादी से पहले का है. बात 1919 की है जब ब्रिस्टल फाइटर्स के साथ रॉयल एयर फोर्स के 99 स्क्वॉड्रन यहां स्थापित किए गए थे. बाद में यह 1922 में रॉयल एयर फोर्स, इंडिया कमांड का मुख्यालय बन गया.

आजादी के बाद 1948 में इसने उड़ान प्रशिक्षक स्कूल के रूप में भी काम करना शुरू कर दिया जो 1954 तक जारी रहा. पाकिस्तान ने 1965 और 1971 के युद्धों में इस एयर बेस पर हमला किया था.

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अर्जन सिंह भी ग्रुप कैप्टन के रूप में रहे

पिछले साल तत्कालीन भारतीय वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में 17 स्क्वॉड्रन को फिर से जीवित किया था. मार्शल ऑफ इंडियन एयर फोर्स स्वर्गीय अर्जन सिंह भी ग्रुप कैप्टन के रूप में अंबाला एयर बेस की कमान संभाल चुके हैं.

एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इस एयरफोर्स के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ थे. साथ ही वह अंबाला में एक स्क्वॉड्रन के प्रभारी भी थे.

राफेल 'गोल्डन एरोज' 17 स्क्वॉड्रन का हिस्सा होगा जिसकी कमान 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने संभाली थी.

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बंठिडा एयर बेस से संचालित स्क्वॉड्रन को 2016 में रूस में निर्मित मिग 21 जेट विमानों से धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के साथ ही भंग कर दिया गया था.

स्क्वॉड्रन का गठन 1951 में किया गया था, और शुरू में इसने डे हैविलैंड वैम्पायर एफ एमके 52 फाइटर्स को उड़ाया था.

29 जुलाई से जब अंबाला में शुरुआती पांच राफेल जेट विमान उतरेंगे तो वे एयरफोर्स स्टेशन और गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के समृद्ध इतिहास का हिस्सा होंगे.

दूसरा दस्ता हासिमारा एयरबेस पर तैनात होगा

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भारतीय वायुसेना ने इस लड़ाकू विमान का स्वागत करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और पायलटों के प्रशिक्षण सहित अपनी तैयारी पूरी कर ली है.

एयरक्राफ्ट का पहला दस्ता भारतीय वायुसेना के रणनीतिक रूप से सबसे अहम ठिकानों में से एक माने जाने वाले अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा. यह स्टेशन भारत-पाक सीमा से करीब 220 किलोमीटर दूर है. राफेल का दूसरा दस्ता पश्चिम बंगाल में हासिमारा एयरबेस पर तैनात किया जाएगा.

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भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ लगभग 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल फाइटर जेट्स की खरीद के लिए समझौता किया था.

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