रंगकर्म को एक नयी बुलंदी तक ले जाने वाले हबीब तनवीर का सोमवार तड़के यहां निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे और कई हफ्तों से बीमार थे. थियेटर की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ने वाले हबीब तीन सप्ताह से बीमार थे. उन्हें पहले हजेला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में डाक्टरों की सलाह पर उन्हें नेशनल अस्पताल ले जाया गया.
उन्होंने जब आखिरी सांस ली तब उनकी बेटी नगीन उनके पास मौजूद थीं. पहले उन्हें सांस लेने में कुछ तकलीफ हो रही थी और इसके इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया था पर बाद में उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया.
जीवनकाल
एक सितंबर 1923 को हबीब का जन्म रायपुर में हुआ था. बहुमुखी प्रतिभा के धनी हबीब ने पत्रकारिता से अपने कैरियर की शुरुआत की. बाद में उन्होंने रंगमंच की दुनिया में कदम रखा जहां उन्होंने रंगमंच को जिने लाहौर नहीं वेख्या ओ जम्या नहीं और आगरा बाजार जैसे कई कालजयी नाटक दिए.
प्यार और अकीदत से लोग उन्हें हबीब साहब कहते थे. उन्होंने फिल्मों के क्षेत्र में भी अपने हाथ आजमाए. कुछ फिल्मों की पटकथा लिखने के अलावा उन्होंने चंद फिल्मों में अभिनय भी किया था.
86 साल के हबीब तनवीर ने हाल ही में सुभाष घई की फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में अभिनय किया था. उन्होंने चरण दास, चोर, आगरा बाज़ार जैसे कई नाटकों का मंचन किया और देश-विदेश में काफी नाम कमाया.
1972 में राज्य सभा सदस्य मनोनीत किये गए हबीब तनवीर को पद्मश्री, पद्म विभूषण और शिखर सम्मान जैसे कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
रंगकर्मी की मौत के बाद नाटक और कला जगत से जुड़ी कई हस्तियां हबीब के निवास पर जमा हुएं जहां सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. हबीब तनवीर का अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा.