एक मासूम के साथ हुए गुनाह से पूरा देश गुस्से में है. लोग जितना गुड़िया के गुनहगार से ख़फा हैं, उतना ही पुलिस की काहिली और निकम्मेपन से भड़के हुए हैं.
लेकिन यह एक पहलू है. दूसरा पहलू यह है कि हमारे देश में बच्चों के खिलाफ बलात्कार की वारदातों में लगातार इजाफा हो रहा है और बढ़ती वारदातें यह साबित करने के लिए काफी हैं कि हमारे चारों ओर गंदी मानसिकता वाले लोगों की तादाद भी लगातार बढ़ रही है.
10 साल में बच्चों के साथ 48,338 बलात्कार
देश में जुर्म की वारदातों का लेखा-जोखा रखनेवाली एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के ताजे आंकड़ों से साबित होता है कि बच्चों के साथ ज्यादती के मामले में हम कितना नीचे गिर चुके हैं. क्या आप यकीन करेंगे कि पिछले 10 सालों में देश में बच्चों के साथ बलात्कार की कुल 48 हजार 338 मामले दर्ज किए गए. यानी हर साल लगभग 5000 बच्चों के साथ बलात्कार और 10 सालों में इन वारदातों में पूरे 336 फीसदी यानी तीन गुने से ज्यादा का इजाफा हुआ. जाहिर है कि यह आंकड़ा हमारे समाज में बच्चों पर मंडराते खतरे की खौफनाक तस्वीर बयान करता है.
बलात्कार जैसे मामलों में मध्य प्रदेश सबसे आगे
अगर राज्यों की बात करें तो बच्चों के साथ बलात्कार जैसे घिनौनी वारदात के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य यानी मध्य प्रदेश सबसे आगे है. इन 10 सालों में मध्य प्रदेश में कुल 9 हजार 465 मामले दर्ज हुए, जबकि 6 हजार 868 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर रहा. इसके बाद 5 हजार 949 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे, जबकि 3 हजार 977 मामलों के साथ आंध्र प्रदेश की जगह चौथी रही. इन तमाम राज्यों के काफी छोटा होने के बावजूद 2 हजार 909 मामलों के साथ दिल्ली पांचवां ऐसा राज्य रहा, जिसमें बच्चों के साथ सबसे ज़्यादा बलात्कार की वारदातें हुईं.
वैसे जानकारों की मानें तो ये आंकड़ा देश में बच्चों के साथ हो रही ज्यादती की तमाम वारदातों का एक छोटा सा हिस्सा भर है. चाइल्ड रेप के जितने मामले थानों में दर्ज होते हैं, उससे ज्यादा कहीं घर-परिवार की इज्जत और ज्यादती करनेवाले की तरफ से दबाव के चलते घर की चारदिवारी के भीतर ही दफन कर दिए जाते हैं. ऐसे मामले भी कम नहीं हैं, जिनमें पुलिस पीड़ित बच्चों के मां-बाप को थानों से ही चलता कर देती है और गुनहगारों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई ही नहीं हो पाती.
बाल सुधार गृहों में भी महफूज नहीं हैं बच्चे
वैसे इन तमाम तथ्यों के बीच एक चौंकानेवाली बात यह भी है कि देश भर में जिन रिमांड होम यानी बाल सुधार गृहों में बच्चों को रखा जाता है, वहां भी उनके साथ यौन शोषण की वारदात आम हैं. साफ है कि घर से लेकर बाल सुधार गृह तक हमारे देश में कहीं भी बच्चे पूरी तरह महफूज नहीं हैं.