वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने एक के बाद एक उभर रहे संकटों बावजूद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का विश्वास है की भारतीय अर्थव्यवस्था की गति सुधरेगी और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के 8.8 प्रतिशत के अनुमान से बेहतर रहेगी.
उद्योगमंडल सीआईआई की सालाना बैठक में मुखर्जी ने कहा कि आईएमएफ ने 2010 में भारत की आर्थिक वृद्धि 8.8 प्रतिशत और इससे अगले वर्ष 2011 8.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. मुखर्जी ने कहा ‘मुझे उम्मीद है हमारा प्रदर्शन इससे बेहतर रहेगा.’ उन्होंने कहा ‘कारोबारी समुदाय के विश्वास में सुधार के साथ ही मुझे चालू वित्त वर्ष में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है.’
मुखर्जी ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के साथ साथ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति में भी गिरावट आने की उम्मीद जाहिर की. उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों के दाम अब नीचे आने लगे हैं. मौसम विभाग की इस साल बेहतर मानसून की भविष्यवाणी अर्थव्यवस्था के लिये व्यापक महत्व की है इससे आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के दाम नीचे आयेंगे. उल्लेखनीय है कि 2008 के वैश्विक रिण संकट के बाद विश्व के सामने यूरो क्षेत्र का ऋण संकट खड़ा हो गया है. {mospagebreak}
वैसे भारतीय नीति नियामकों का कहना है कि यूरोपीय ऋण संकट का देश पर असर नहीं पड़ेगा. प्रणव ने कहा कि गत छह महीनों में खास कर औद्योगिक क्षेत्र की बेहतर वृद्धि को देखते हुये 2009-10 में आर्थिक वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि वर्ष के दौरान कमजोर मानसून से कृषि क्षेत्र पर पड़े बुरे प्रभाव के बावजूद यह आर्थिक वृद्धि की यह दर अच्छी है.
बजट में घरेलू कंपनियों पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को 15 से बढाकर 18 प्रतिशत किये जाने को ले कर उद्योगपतियों की शिकायत पर मुखर्जी ने कहा कि यह प्रत्यक्ष कर सुधारों की दिशा में एक कदम है जिसमें छूट को लाभ की बजाय निवेश से जोड़ने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा सरकार प्रत्यक्ष कर संहिता (डारेक्ट टैक्स कोड) का नया मसौदा तैयार कर हैं. इसे जल्द ही मंत्रालय की वेबसाइट पर रख कर सभी संबद्ध पक्षों से एक बार फिर उनके सुझाव और प्रतिक्रियाएं अमंत्रित की जाएंगीं. उसके बाद इसे संसद में पेश कर दिया जायेगा. संसद की स्थायी समिति के व्यापक विचार विमर्श के बाद पारित होने पर अगले वित्त वर्ष से इसे लागू कर दिया जायेगा. {mospagebreak}
मुखर्जी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर भी उद्योगपतियों को इसके समय पर लागू होने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के साथ वह लगातार संपर्क में हैं. सरकार चाहती है कि इस बारे में सभी के बीच पूरी तरह सहमति बन जाये. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी संविधान में अहम् संशोधन होगा. उन्होंने कहा ‘राज्यों के साथ बातचीत जारी है, जीएसटी की दर से किसी को भी राजस्व का नुकसान नहीं होना चाहिये, ऐसी जो भी न्यूनतम दर होगी उसी दर पर जीएसटी तय होगा.’
उन्होंने राज्यों को भी आश्वस्त किया कि उन्हें किसी भी प्रकार के राजस्व नुकसान के प्रति चिंतित नहीं होना चाहिये. केन्द्रीय बिक्री कर के मुद्दे पर भी उन्होंने कहा कि केन्द्र इस दिशा में राज्यों के हित में जल्द कदम उठायेगा. {mospagebreak}
आर्थिक वृद्धि का लाभ समाज के निचले तबके तक पहुंचाने के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुये मुखर्जी ने कहा ‘असंगठित क्षेत्र के कामगारों के हितों की सुरक्षा के लिये बनाया गया असंगठित क्षेत्र कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 का क्रियान्वयन जल्द किया जायेगा. इसके लिये 1000 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जा रही है. सरकार ने असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा नई पेंशन योजना अपनाने पर प्रत्येक खाते में सालाना 1000 रुपये का योगदान करने का भी फैसला किया है.
मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने कृषि और सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्योगों (एमएसएमई) के मामले में भी विशेष रणनीति अपनाई है. सरकार का उद्देश्य गरीबी कम करना और रोजगार के अवसर बढाना है. इसके लिये श्रमिकप्रधान उद्योगों को बढावा दिया जा रहा है. सरकार कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत वृद्धि हासिल करने के लिये प्रयासरत है. इसके लिये बजट में भी कई घोषणायें की गई हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुधारने की संभावनायें भी देख रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार के इस प्रयास से न केवल इस प्रणाली को मजबूती मिलेगी बल्कि खर्चा भी कम होगा. सरकार अपनी सभी जनकल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन पर स्वतंत्र तौर पर आकलन के लिये एक अलग कार्यालय खोलेगी. बजट में इसकी घोषणा की गई है. इससे सरकार संसाधनों को बेहतर उपायोग कर सकेगी.