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DRDO प्रमुख ने कहा- जरूरत पड़ने पर और परमाणु परीक्षण को तैयार है भारत

एक इंटरव्यू में क्रिस्टोफर ने कहा कि 1998 में पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट करने के बाद से भारत न्यूक्लियर मिसाइल क्षमता के मामले में काफी आगे हो गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

डीआरडीओ के चेयरमैन एस क्रिस्टोफर ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो भारत और परमाणु परीक्षण करने को तैयार है. एक इंटरव्यू में क्रिस्टोफर ने  कहा कि 1998 में पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट करने के बाद से भारत न्यूक्लियर मिसाइल क्षमता के मामले में काफी आगे हो गया है.

दिलचस्प यह है कि सोमवार को क्रिस्टोफर का यह बयान आया और उसके बाद यह खबर आई कि सरकार ने क्रिस्टोफर को सेवा विस्तार देने से इंकार कर दिया है. इसके बाद उन्होंने अपना चार्ज रक्षा सचिव संजय मित्रा को सौंप दिया. क्रिस्टोफर ने एक साल के और सेवा विस्तार के लिए सरकार के सामने आवेदन किया था. उन्हें पिछले साल भी सेवा विस्तार मिला था.

 गौरतलब है कि भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परीक्षण स्माइलिंग बुद्धा (पोखरण-1) 18 मई, 1974 को किया था. उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यों के लिए होगा और यह परीक्षण भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है. बाद में 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में ही पांच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किए गए जिसके बाद भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया.

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तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. इस सत्य घटना पर बनी फिल्म 'परमाणु' आजकल चर्चा में है. 'परमाणु' की वजह से ही पोखरण में परमाणु विस्फोटों की भारत की सफलता पर देशवासियों को एक बार फिर से गर्व करने का मौका मिल रहा है.

कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'सक्षम प्राधिकारी ने मित्रा को तीन महीने के लिए डीआरडीओ के सचिव और चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है.

प्रधानमंत्री कार्यालय चाहता है कि डीआरडीओ को चलाने के लिए नए विचारों वाले नए लोग आएं. इसी सोच के तहत मई 2015 में क्रिस्टोफर को डीआरडीओ का प्रमुख बनाया गया था. क्रिस्टोफर डीआरडीओ के एक प्रमुख वैज्ञानिक रहे हैं और वह अवॉक सिस्टम के प्रोग्राम डायरेक्टर भी रहे हैं.

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