मोदी सरकार 2.0 में रक्षा मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे राजनाथ सिंह जल्द ही युद्ध के समय इस्तेमाल में लाए जाने वाले हथियारों का जायजा लेंगे. सरकार सैनिकों को मुहैया किए जाने वाले हथियारों की आपूर्ति पर नजर बनाए हुए है, इसी कड़ी में राजनाथ सिंह ये बैठक करेंगे.
इस बैठक में पुलवामा आतंकी हमले जैसी स्थिति पैदा होने या फिर उसके बाद युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए सेना के पास पर्याप्त हथियार और उनकी तैयारियों का जायजा लिया जाएगा. सेना ने बीते कुछ समय में इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए एक सिस्टम तैयार किया है, ऐसे में रक्षा मंत्री उसका भी जायजा लेंगे.
इसके अलावा रक्षा मंत्री सेना के तीनों अंगों की समस्याओं और उनकी मांग को सुनेंगे. बता दें कि पुलवामा हमले के बाद जिस तरह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा था, तब मोदी सरकार ने सेना के तीनों अंगों को कुछ भी ऐसा हथियार खरीदने की शक्ति दी थी जिसकी उन्हें तुरंत जरूरत है.
इस परमिशन की बदौलत सेना तीन महीने के अंदर-अंदर 300 करोड़ रुपये प्रति केस की कीमत के अनुसार हथियार खरीद सकती है. इसी के बाद वायु सेना ने इंटरनेशनल मार्केट में आई कुछ नई मिसाइलों में रुचि दिखाई थी. ऐसे में इस बैठक में उन पर भी बात हो सकती है.
दरसअल, सरकार ने ये फैसला सेना पर इसलिए छोड़ा था क्योंकि जंग उन्हें ही लड़नी है. ऐसे में उन्हें किस चीज़ की जरूरत है, वह बेहतर जानते हैं. इसलिए इमरजेंसी ऑर्डर में डिफेंस या वित्त विभाग से किसी तरह की कोई परमिशन ना लेनी पड़े.
अगर बीते कुछ समय में खरीदे गए हथियारों की बात करें तो वायुसेना ने स्पाइस 2000 मिसाइल खरीदने की इच्छा जताई है. ये वही मिसाइलें हैं, जिनका इस्तेमाल बालाकोट एयरस्ट्राइक में किया गया था. साथ ही वायुसेना ने एक और डील साइन की है, जिसमें रूस से R-27, R-77 और RVAAE जैसी मिसाइल खरीदने की बात है. इन मिसाइलों के दम पर 30-60 किलोमीटर के बीच दुश्मन के एयरक्राफ्ट को तबाह किया जा सकता है.
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