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गलवान टकराव के बाद शांति का इस्तेमाल चीन ने सैनिक तैनाती बढ़ाने में किया

भारत और चीन में टकराव के चार प्रमुख बिंदुओं में गलवान घाटी क्षेत्र, पेट्रोलिंग प्वॉइंट 15, फिंगर एरिया और पेट्रोलिंग प्वॉइंट 17 हॉट स्प्रिंग्स एरिया शामिल हैं.

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सैटेलाइट इमेज (Photo- PTI)
सैटेलाइट इमेज (Photo- PTI)

  • चीन की ओर से DBO क्षेत्र में भी गतिविधियां बढ़ाई जा रही
  • चीनी सेना के हर कदम पर भारतीय सेना की बारीक नजर

बातचीत में चीन बेशक तनाव घटाने पर सहमति जताता हो लेकिन हकीकत में वो कुछ और चालें ही चल रहा है. गलवान में 15 जून को खूनी संघर्ष के बाद जो शांति हुई, उसका इस्तेमाल चीन ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर के पूरे क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती बढ़ाने में किया.

हालांकि, चीनी सेना के हर कदम पर भारतीय सेना की बारीक नजर है. ऐसे में भारत ने भी इस अवधि में अतिरिक्त सैनिक बल तैनात किया है. भारतीय सैनिकों की ये तैनाती सीमा पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) यानि चीनी सेना की तैनाती से कहीं कम नहीं है, बल्कि इक्कीस ही बैठती है.

सरकारी सूत्रों ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया, 'यहां तक ​​कि जब हम टकराव के बाद शांति और तनाव घटाने की बात कर रहे थे, तब चीनियों ने तत्काल उस वक्त का इस्तेमाल विवाद वाली चार जगहों पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाने और अपनी पोजीशंस मजबूत करने में किया.'

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सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्षों में टकराव के चार प्रमुख बिंदुओं में गलवान घाटी क्षेत्र, पेट्रोलिंग प्वॉइंट 15, फिंगर एरिया और पेट्रोलिंग प्वॉइंट 17 हॉट स्प्रिंग्स एरिया शामिल हैं, जहां उन्होंने अपने सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर बड़ा सैनिक बिल्ड-अप किया है.

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सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष ने इस अवधि का इस्तेमाल अपने सैनिकों का संख्या बल बढ़ाने के साथ हथियारों को फ्रंट पोजीशंस तक लाने में किया. चीनियों की ओर से पास के दौलत बेग ओल्डी (DBO) क्षेत्र में भी गतिविधियां बढ़ाई जा रही हैं. DBO क्षेत्र को सब सेक्टर नॉर्थ के तौर पर भी जाना जाता है. इसके बाईं ओर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र पड़ता है.

सूत्रों ने कहा, 'DBO क्षेत्र में चीनी हमारे लिए दिक्कतें पैदा करना चाहते हैं. वो हमारी पेट्रोलिंग को उस क्षेत्र में 10 से 13 पेट्रोलिंग प्वॉइंट तक जाने में ब्लॉक करने की कोशिश करते रहे हैं. ये कारवां नदी घाटी के साथ-साथ हैं और DBO क्षेत्र में भारतीय बटालियन्स के करीब हैं.'

सूत्रों के मुताबिक, चीन ने अपनी पीछे की पोजीशंस में भी सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल भारी वाहनों और आर्टिलरी को तेजी से LAC के करीब लाने में किया है. यहां से PP15, PP17 और PP17A करीब हैं.

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इन क्षेत्रों में पेट्रोल डिसिंगेजमेंट भी अब तक चीनियों को सैनिकों की तैनाती बढ़ाने, मूवमेंट और निर्माण अवधियों से नहीं रोक सका है. फिंगर एरिया में भी चीनी फिंगर 4 और आसपास के हिस्सों में अपना बिल्ड-अप मजबूत कर रहा है. चीनियों ने अपने सुखोई 30 विमानों को भी पीछे की पोजीशंस पर तैनात कर दिया है और वो भारतीय क्षेत्र के पास नियमित उड़ान भर रहे हैं.

लंबी दूरी की एयर डिफेंस गन बैट्रीज की मौजूदगी का भी पता लगाया गया है. यह क्षेत्र में ऑपरेट करने वाले भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को देखते हुए किया गया है.

भारत और चीन ने दो दौर की जनरल स्तर की वार्ता की है, जहां वे आगे डिसिंगेजमेंट के लिए सहमत हुए हैं. हालांकि, चीनी अभी वरिष्ठतम स्तर पर वार्ता के दौरान सहमत होने के बाद भी अपनी प्रतिबद्ताओं और आश्वासनों का सम्मान करने में नाकाम रहे हैं.

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