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‘सीमित अधिकार’ को चिदंबरम बता सकते हैं: प्रणव

नक्सलवादियों के खिलाफ संघर्ष में ‘‘सीमित अधिकार’’ की गृह मंत्री पी चिदम्बरम की टिप्पणी के बारे में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि इस मुद्दे पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी और ‘‘समस्या पर सार्वजनिक बहस नहीं हो सकती.’’

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नक्सलवादियों के खिलाफ संघर्ष में ‘‘सीमित अधिकार’’ की गृह मंत्री पी चिदम्बरम की टिप्पणी के बारे में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि इस मुद्दे पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी और ‘‘समस्या पर सार्वजनिक बहस नहीं हो सकती.’’
मुखर्जी ने कहा,‘‘नहीं , ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हमें कैबिनेट में चर्चा करनी होगी. सार्वजनिक बहस नहीं हो सकती क्योंकि सचाई यह है कि गृह मंत्रालय के प्रस्तावों को कैबिनेट ने स्वीकार किया है तथा उचित उपाय पहले ही किए गए हैं.’’ उन्होंने एक निजी चैनल के साथ बातचीत में कहा‘‘ लेकिन गृह मंत्री ने किस संदर्भ में ये टिप्पणी की है, इसकी व्याख्या करने के लिए वही उचित व्यक्ति हैं.’’

वित्त मंत्री चिदम्बरम की उस टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें माओवादी समस्या से निपटने के लिए सीमित अधिकार मिले हैं.

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यह पूछे जाने पर कि क्या नक्सल मुद्दे पर कैबिनेट बैठकों के मतभेदों को सार्वजनिक करने का गृह मंत्री को जवाब देना चाहिए, मुखर्जी ने कहा,‘‘मैं यह कह रहा हूं कि किस संदर्भ में उन्होंने क्या कहा है, उसकी वही बेहतर व्याख्या कर सकते हैं .... ये बातें हम सार्वजनिक रूप से नहंी करते हैं और ये सार्वजनिक रूप से कहे जाने के लिए हैं भी नहीं.’’

मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने ‘‘कभी भी’’ किसी के साथ अपने मतभेदों को सार्वजकिन रूप से जाहिर नहीं किया. उन्होंने कहा‘‘ कैबिनेट में जो भी फैसला लिया जाता है, उस पर मेरा विचार हो सकता है... मैं कैबिनेट में ही अपना विचार रखता हूं या कैबिनेट की किसी उचित समिति में और उसके बाद फैसले के अनुसार चलता हूं.’’

उन्होंने कहा‘‘ मैं वैसा इंसान नहीं हूं जो कैबिनेट में लिए गए फैसलों से अलग विचार रखने पर उन्हें सार्वजनिक रूप से जाहिर करूं.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या चिदम्बरम ने कैबिनेट के भीतर और कैबिनेट समिति में सुरक्षा पर विचार सार्वजनिक कर ठीक किया, वित्त मंत्री ने कहा‘‘ मैं कोई वेल्यू जजमेंट नहीं कर सकता कि किस संदर्भ में उन्होंने क्या कहा . इसलिए मैं बार बार यह कह रहा हूं कि वही सही व्यक्ति हैं जो इस बारे में बता सकते हैं.’’

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यह पूछे जाने पर कि क्या देश को नक्सल मुद्दे को लेकर चिंतित होना चाहिए क्योंकि शीर्ष मंत्री समस्या पर सहमत नहीं हैं, मुखर्जी ने कहा,‘‘ मुझे नहीं लगता कि चिंतित होने की कोई बात है क्योंकि मैं आपको बता चुका हूं और कैबिनेट में किसी ने भी नहीं कहा कि हमें आतंकवादियों और नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.’’

कैबिनेट में वैचारिक मतभेद होने के संबंध में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा,‘‘ मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि मेरे माननीय सहयोगी ने क्या कहा... लेकिन मैं आपको इतना बता सकता हूं कि कैबिनेट में विभिन्न लोग अपने अपने विचार दे सकते हैं... इसमें कोई असामान्य बात नहीं है.’

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