सीबीआई ने इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में अपनी जांच के सिलसिले में नये साक्ष्य जुटाने का दावा किया है जिससे उसे इस घटना के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा करने के लिए तफ्तीश में मदद मिलेगी.
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ‘परिस्थितिजन्य साक्ष्यों’ का विश्लेषण कर रही है जिससे उसे अपराध के समय कुछ आरोपियों की स्थिति का पता लगाने में मदद मिल सकती है. सूत्रों ने कहा कि एजेंसी नये साक्ष्यों की रोशनी में खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राजिंदर कुमार से भी पूछताछ कर सकती है जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का प्रयास करेगी जिसमें घटना की साजिश का ब्योरा होगा. गुजरात पुलिस ने जून, 2004 में 19 वर्षीय इशरत के साथ जावेद शेख, अमजद अली राणा और जीशान जोहर को मार गिराया था.
सीबीआई के आरोपपत्र में गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, अपहरण और अन्य संबंधित अपराधों के आरोप हैं. सूत्रों के मुताबिक सीबीआई गुजरात के सरकारी अधिकारियों की कथित बातचीत के टेपों की विश्वसनीयता का भी पता लगा रही है जिनमें मामले के आरोपी पुलिसकर्मियों की मदद के तरीकों पर बातचीत है. सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने इन टेपों को अहमदाबाद की निचली अदालत में सीलबंद लिफाफे में जमा किया था और अपने पूरक आरोपपत्र में इस बातचीत का संदर्भ देगी.
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने तीन जुलाई को दाखिल आरोपपत्र में इशरत और जावेद के रिश्तेदारों और उन्हें जानने वाले लोगों के बयानों को शामिल किया था और इस तरह उनके बारे में विस्तृत जानकारी जुटा सकी. हालांकि सीबीआई अभी तक जोहर और राणा की पहचान को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. एजेंसी ने अपने आरोपपत्र में ना तो दोनों की पृष्ठभूमियों के बारे में कोई ब्योरा दिया है और ना ही गुजरात में उनकी मौजूदगी के मकसद का जिक्र किया है.