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लिंचिंग पर BJP नेता का कांग्रेस पर पलटवार, सिख दंगों की दिलाई याद

बीते कुछ माह से विरोध और बहस-मुबाहिसे के केन्द्र में रहने वाला लिचिंग का मुद्दा अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. विपक्षी दल लिंचिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगी हैं. वहीं लिंचिंग के मुददे को ही हथियार बनाकर बीजेपी नेता आर पी सिंह ने एक पोस्टर के जरिए 84 दंगों के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए इंसाफ मांगा है.

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बीजेपी नेता
बीजेपी नेता

बीते कुछ माह से विरोध और बहस-मुबाहिसे के केन्द्र में रहने वाला लिचिंग का मुद्दा अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. विपक्षी दल लिंचिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगी हैं. वहीं लिंचिंग के मुददे को ही हथियार बनाकर बीजेपी नेता आरपी सिंह ने एक पोस्टर के जरिए 84 दंगों के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए इंसाफ मांगा है.

नई दिल्ली जिले में लगाए गए इन पोस्टर्स पर #inanyname के जरिए किसी भी विशेष समुदाय के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए समान इंसाफ की गुहार की गई हैं. पोस्टर में 84 के दंगे का जिक्र है जिसमें सिखों का कत्लेआम हुआ था. हालांकि, पोस्टर में सिख समुदाय का सीधे जिक्र ना करते हुए लिखा गया है कि 1984 के दंगों में दिल्ली के जिन 3000 भारतीयों की लिंचिंग हुई, उनमें शामिल लोगों में से एक को भी अब तक सजा नहीं मिली है.

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बीजेपी नेता आर पी सिंह का सीधा इशारा 84 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर था. आरपी सिंह ने इशारों-इशारों में मुस्लिम समुदाय से हमदर्दी जताकर अपना उल्लू सीधा करने वालों पर भी कटाक्ष किया और कहा कि 84 दंगों के लिए न्याय अब तक इसलिए नहीं मिला क्योंकि सिख सिर्फ 2 फीसदी हैं, 20 फीसदी नहीं. उन्होंने लिंचिंग के मुद्दे पर राजनीति करने वालों को इस पोस्टर के जरिए संदेश देने की कोशिश की है कि लिंचिंग होने पर सभी को एक समान इंसाफ मिलना चाहिए फिर चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या समुदाय से हों.

आपको बता दें कि वल्लभगढ़ के जुनैद हत्या मामले के बाद हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर पर #notinmyname कैंपेन के नाम पर प्रदर्शन सभा आयोजित हुई थी. जिसमें अखलाक से लेकर गोहत्या के आरोप में लोगों पर हो रहे हमले, जुनैद की मौत, जेएनयू छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी पर चिंता जाहिर करते हुए कई विपक्षी दलों, बुद्धिजीवियों ने लिंचिंग के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. हालांकि, इस कैंपेन को लेकर काफी विवाद भी हुआ था.  इसमें एक तरफ जहां गैर-राजनीतिक लोग मॉब लिचिंग के खिलाफ एकजुट हुए थे. वहीं दूसरी तरफ कई राजनीतिक दलों ने लिंचिंग को एक राजनीतिक मुद्दा बनाकर केन्द्र सरकार को घेरने को कोशिश की थी. गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र में भी लिंचिग का मुद्दा उठाया गया था. भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की थी.

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