देश की सत्ता का सुख भोग रही बीजेपी अब खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में देखना चाहती है. एक नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत खुद की सदस्यता के नवीनीकरण के साथ की. 12 दिन बाद बीजेपी से अब तक 56 लाख नए सदस्य जुड़ चुके हैं. सप्ताहांत तक यह 60 लाख की रेखा को पार कर सकती है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इससे खुश हैं, लेकिन उनकी इच्छा पार्टी के राजनीतिक वर्चस्व को और मजबूत करने की है.
आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी से इस वक्त करीब 3.5 करोड़ सदस्य जुड़े हुए हैं. यह देश की किसी भी पार्टी के सदस्यों की संख्या में सबसे अधिक है. लेकिन शाह की रणनीति इससे कहीं अधिक पार्टी को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने की है. यानी सदस्यता के मामले में बीजेपी की सीधी टक्कर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) से है. बताया जाता है कि सीपीसी के कुल 8.3 करोड़ सदस्य हैं. बीजेपी के लिए इस बार खुश होने की एक और बड़ी वजह यह है कि सदस्यता अभियान में इस बार प्रवासी भारतीयों की भागीदारी बढ़ी है. जाहिर तौर पर इसका सीधा संबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमत्कारी छवि से है और पीएम के ताजा विदेशी दौरे से भी इस अभियान को लाभ मिल सकता है.
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक, बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और सदस्यता अभियान के सह संयोजक अरुण सिंह कहते हैं, 'अभियान में इस बार लोगों का उत्साह बढ़ा है. जिस तेजी से लोग जुड़ रहे हैं, उम्मीद है बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी.' बताया जाता है कि अमित शाह ने भी कार्यकर्ताओं से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से आगे निकलने का लक्ष्य रखने को कहा है. हालांकि सीपीसी के सदस्यों की इतनी बड़ी संख्या होने के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि चीन में पीपुल लिबरेशन आर्मी और नौकरशाही से जुड़े हर शख्स के लिए जीवनभर सीपीसी की सदस्यता अनिवार्य है.
मोबाइल और ऑनलाइन सुविधा से मिला लाभ
इस साल बीजेपी के सदस्यता अभियान में दो नई चीजें शामिल की गईं. पहली यह कि कोई भी व्यक्ति पार्टी की वेबसाइट पर जाकर सदस्य बन सकता है. दूसरा पार्टी द्वारा जारी किए गए एक मोबाइल नंबर पर एसएमएस भेजकर भी सदस्यता ली जा सकती है. इसके अलावा एक टोल फ्री नंबर भी है, जिस पर मिस्ड कॉल देकर सदस्यता के लिए आवेदन किया जा सकता है. अरुण सिंह कहते हैं, 'कोई भी व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल देकर हमसे जुड़ सकता है. हम पूरे कैडर को फोन और लगातार पार्टी के कार्यक्रमों के बारे में एसएमएस भेजकर जोड़े रखते हैं.'
हालांकि इन सबके बीच पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा कि पार्टी को सदस्यों से जुड़ाव रखने के लिए नए स्तर से भी कुछ करना होगा, क्योंकि अक्सर उनसे नियमित संपर्क टूट जाता है. इनमें से बड़ी संख्या के पास पार्टी का परिचय पत्र भी नहीं होता.