चुनावी हार और अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा को ‘भगवा कांग्रेस’ बताते हुए उसके पूर्व नेता के एन गोविंदाचार्य ने आज कहा कि जनसंघ की तरह इसे भी समाप्त करके नये राजनीतिक विकल्प पर विचार होना चाहिए.
जनसंघ की तरह भाजपा को समाप्त कर दिया जाए
गोविंदाचार्य ने यहां कहा कि इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब पुराने उपकरण और मंच के नयी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं होने पर नये विकल्प पेश किये गए हैं. ऐसा ही एक उदाहरण जनसंघ का है जिसके विकल्प के रूप में भाजपा को पेश किया गया था. उन्होंने कहा कि मैं इस संभावना से इंकार नहीं कर सकता कि जनसंघ की तरह भाजपा को भी समाप्त कर दिया जाए. इसमें भाजपा के अंदर से भी प्रयास हो सकते हैं. निकट भविष्य में ऐसी किसी संभावना के साकार होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आगे आगे देखिए होता है क्या.
आपस में लड़ रहे हैं भाजपा के सेनापति
भाजपा को राह प्रदान करने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध के बारे में सवालों के जवाब में पूर्व भाजपा नेता ने कहा कि संघ के 45 वर्ष से अधिक समय का नाता है और आज भी व्यापक संवाद बना हुआ है. संघ के नेताओं से महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत होती रहती है और उन्हें भी भरोसा है कि मैं अपने विवेक से चलने वाला व्यक्ति हूं. आडवाणी पर निशाना साधते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि आडवाणी कई बार कह चुके हैं कि शासन के दायित्व को पूरा करने के संदर्भ में विचारधारा अप्रासंगिक है. उनके नेतृत्व में पार्टी के सिपाही तो संघर्ष को तैयार है लेकिन सेनापति आपस में लड़ रहे हैं.
भटक गई है भाजपा की विचारधारा
गोविंदाचार्य ने कहा कि देश गंभीर स्थिति से गुजर रहा है और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के 11-11 खिलाड़ी मिलकर जनता के खिलाफ गोल दागने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष की जिम्मेदारी होती है कि वह जनता से जुड़े मुद्दों को सरकार के समक्ष मजबूती के साथ उठाए और जरूरत पड़े तो सरकार को जनता की ओर ध्यान देने के लिए मजबूर करे. लेकिन विपक्ष के रूप में भाजपा का स्वरूप आज ‘भगवा कांग्रेस’ का हो गया है. उन्होंने कहा कि भाजपा आज निश्चित तौर पर विचारधारा से भटकी है.
मैं ‘पास देने’ में विश्वास करता हूं गोल दागने में नहीं
पार्टी की विचारधारा किन किन तत्वों से बनी है और अनुशासन का क्या मापदंड है, यह तय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी में विचारधारा के खिलाफ काम होते हैं और फिर भी कहा जाए कि विचारधारा पर कायम हैं तो यह पार्टी और जनता से धोखाधड़ी है. जब उनसे भाजपा में लौटने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश होता है. मैं नये राजनीतिक विकल्प के पक्ष में पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं. मैं ‘पास देने’ में विश्वास करता हूं गोल दागने में नहीं.