पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सारदा समूह के अखबारों को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस ए. के. गांगुली ने कहा कि देश में ऐसी कोई सरकार नहीं है जिसने लोगों को यह 'आदेश' देने की कोशिश नहीं की होगी कि उन्हें कौन सा अखबार पढ़ना है.
उन्होंने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी को याद होगा कि उन्होंने कभी यह निर्देश दिया था कि लोगों को कौन सा अखबार पढ़ना चाहिए. ये अखबार भी अब बंद हो चुके हैं. क्योंकि ये अखबार भी सारदा चिट फंड के पैसे से चल रहे थे.'
पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष गांगुली ने कहा कि सारदा समूह किसी भी अखबार में मास मीडिया की विशेषता नहीं थी.
उन्होंने कहा, 'वे केवल यशगान (मुख्यमंत्री का) कर रहे थे. मैं नहीं जानता कि देश की किसी अन्य सरकार ने लोगों को यह बताने की कोशिश की थी कि उन्हें कौन सा अखबार पढ़ना चाहिए.'
गांगुली की यह टिप्पणी राज्य सरकार के मार्च 2012 में दिए गए आदेश की तरफ था. इस आदेश के तहत सरकार ने सभी अंग्रेजी अखबार सहित प्रमुख दैनिकों को सरकारी सहायता प्राप्त पुस्तकालयों में प्रतिबंधित कर दिया था.