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रिजवानुर मामले में अशोक तोडी को कोर्ट से राहत नहीं

उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसमें कंप्यूटर ग्राफिक शिक्षक रिजवानुर रहमान की रहस्यमय मौत के मामले की नए सिरे से सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया गया है.

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उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसमें कंप्यूटर ग्राफिक शिक्षक रिजवानुर रहमान की रहस्यमय मौत के मामले की नए सिरे से सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया गया है.

न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की पीठ ने रिजवानुर के भाई और शिकायकर्ता रुकबानुर रहमान तथा सीबीआई को छह हफ्ते में जवाब देने को कहा है. अदालत के 18 मई के फैसले को उद्योगपति अशोक तोदी ने चुनौती दी है. रिजवानुर (30) का शव 21 सितंबर 2007 को रेल पटरियों के पास मिला था.

इसके एक महीना पहले ही रिजवानुर ने 200 करोड़ रुपए के लक्स कोजी होजियरी ब्रांड के मालिक अशोक तोदी की पुत्री प्रियंका से विवाह किया था. तोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उच्च न्यायालय का निर्देश सही नहीं है क्योंकि अपराध प्रकिया संहिता के तहत उसे ऐसा अधिकार नहीं है क्योंकि मामले में सीबीआई ने पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया है.

उन्होंने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों में कहा गया है कि एक बार आरोपपत्र दाखिल हो जाने के बाद मामले में उपरी अदालतों की निगरानी की कोई भूमिका नहीं है. उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई लेकिन उसने शिकायतकर्ता के वकील से कई सवाल किए.

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उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते सीबीआई को रिजवानुर की मौत की नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया था. इसके साथ ही एजेंसी को चार महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया था. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 16 अक्तूबर 2007 को युवक की मौत के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था. अदालत ने यह आदेश रिजवानुर की मां किश्वर जहां की याचिका पर दिया था.

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