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केरल के राज्यपाल बने आरिफ मोहम्मद खान हुए अभिभूत, बोले - मेरे लिए सौभाग्य की बात

केरल के राज्यपाल नियुक्त किए जाने पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह सेवा करने का अवसर है. मुझे भारत जैसे देश में पैदा होने का सौभाग्य मिला, जो विविधता से भरा हुआ है, विशाल और समृद्ध है. केरल के बारे में बात करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह मेरे लिए भारत के एक हिस्से को जानने-समझने का शानदार अवसर है जो भारत की सीमा बनाता है, और जिसे ईश्वर का देश कहा जाता है.

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आरिफ मोहम्मद खान (फोटो-ANI)
आरिफ मोहम्मद खान (फोटो-ANI)

  • आरिफ मोहम्मद बोले- यह मेरे लिए एक शानदार अवसर है
  • मैं केरल के लोगों के लिए काम करूंगा- आरिफ मोहम्मद

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. इस पर आरिफ मोहम्मद खान ने खुशी जाहिर की है. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह सेवा करने का अवसर है. मुझे भारत जैसे देश में पैदा होने का सौभाग्य मिला, जो विविधता से भरा हुआ है, विशाल और समृद्ध है.

केरल के बारे में बात करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह मेरे लिए भारत के एक हिस्से को जानने-समझने का शानदार अवसर है जो भारत की सीमा बनाता है, और जिसे ईश्वर का देश कहा जाता है.

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि राज्य पर केंद्र सरकार का कब्जा है या नहीं, मैं संवैधानिक पद संभालने जा रहा हूं. मैं केरल के लोगों के लिए लगातार काम करूंगा. केरल का गवर्नर बनने पर विपक्ष के हमलों के जवाब में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैं सिर्फ अपनी संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करूंगा.

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केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी के बारे में पूछे जाने पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर राहुल मुझसे मिलने आते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होगी और मैं उनकी मदद भी करूंगा.

सक्रिय राजनीति से दूर आरिफ मोहम्मद खान बने गवर्नर-

कांग्रेस, जनता दल, बीएसपी से होते हुए 2004 में बीजेपी का दामन थामने वाले आरिफ मोहम्मद खान जब कैसरगंज लोकसभा सीट का चुनाव हारे तो फिर बाद में वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए.  कभी कोई पूछता कि किस दल में हैं? तो कहते तटस्थ हूं... किसी दल से नहीं जुड़ा हूं.

आरिफ मोहम्मद खान ने राजनीतिक मंचों से खुद को दूर कर लिया. अब वह सामाजिक/सांस्कृतिक संगठनों के कार्यक्रमों तक सीमित हो गए. बतौर इस्लामिक स्कॉलर कट्टरपंथ की मुखर आलोचना के कारण ऐसे मसलों पर दक्षिणपंथी संगठनों में उन्हें बुलाने की होड़ लगी रहती. मुस्लिमों के प्रति कांग्रेस की सोच पर प्रहार करने वाले बयान हमेशा बीजेपी सर्किल में पसंद किए जाते रहे. मुस्लिमों में उन्हें चाहने वाले भी हैं और नापसंद करने वाले भी. एक वर्ग प्रगतिशील और सुधारक  मानकर उन्हें पसंद करता है तो दूसरा धड़ा बीजेपी की लाइन पर चलने वाला शख्स मानकर नापसंद भी करता है.

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