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क्रिमिनल केस से बरी होने के बाद भी नहीं मिलेगी पुलिस की नौकरी: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस में नौकरी नहीं मिलनी चाहिए, भले वह बरी या आरोपमुक्त ही क्यों न हो गया हो.

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सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस में नौकरी नहीं मिलनी चाहिए, भले वह बरी या आरोपमुक्त ही क्यों न हो गया हो. जस्ट‍िस तीरथ सिंह ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, ‘जिन व्यक्तियों से पुलिस का भरोसा कम होने की आशंका हो, उन्हें पुलिस में नौकरी नहीं दी जानी चाहिए.’ बेंच ने कहा, ‘वह बरी या आरोपमुक्त हो गया हो तो भी यह नहीं माना जा सकता कि उसे पूरी तरह दोषमुक्त कर दिया गया है.’

अदालत ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति इस श्रेणी में फिट नहीं बैठता. बेंच में अन्य सदस्य के तौर पर जस्ट‍िस आदर्श कुमार गोयल भी थे. कोर्ट ने कहा, ‘यह साफ है कि पुलिस सेवा में भर्ती किया जाने वाला उम्मीदवार पूरी तरह भरोसेमंद हो तथा निष्कपट, बेदाग चरित्र और ईमानदारी वाला व्यक्ति हो.’

बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के खि‍लाफ मध्य प्रदेश सरकार की अपील स्वीकार कर ली जिसमें उसे परवेज खान नामक एक व्यक्ति को अनुकंपा के आधार पर पुलिस सेवा में नियुक्त करने के मामले पर तीन महीने में विचार करने का निर्देश दिया गया था. खान ने अपने पिता सुल्तान खान की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन दिया था. उसके पिता मध्य प्रदेश पुलिस सेवा में थे.

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पुलिस सत्यापन के दौरान पाया गया कि खान दो आपराधिक मामलों में शामिल था. पहला मामला हमला और आपराधिक धौंसपट्टी का जबकि दूसरा मामला अनधिकार किसी के घर में घुसने और डकैती करने का था. पहले मामले में खान को बरी कर दिया गया था जबकि दूसरे मामले में उसे आरोपमुक्त कर दिया गया था.

 

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