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राष्ट्रपति ने 8 के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दो अलग अलग मामलों में 8 लोगों को दी गयी मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी है. बीते 30 वर्षों में राष्ट्रपतियों ने केवल 10 मामलों में मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया है.

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राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दो अलग अलग मामलों में 8 लोगों को दी गयी मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी है. बीते 30 वर्षों में राष्ट्रपतियों ने केवल 10 मामलों में मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया है. 77 याचिकाओं पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने फैसला किया है.

प्रतिभा ने श्याम मनोहर तथा पांच अन्य की क्षमा याचना पर 15 जून को अपना आदेश जारी किया. ये लोग 10 वर्षीय एक बालक सहित पांच लोगों की अक्तूबर 1997 में की हत्या में सजायाफ्ता थे. धर्मेन्द्र कुमार और नरेंद्र यादव को एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था.

उत्तर प्रदेश के श्याम मनोहर, शिवराम, प्रकाश सुरेश, रविंदर और हरीश को 10 साल के एक बच्चे सहित पांच लोगों की हत्या के मामले में 1997 में मौत की सजा सुनायी गयी थी. उत्तर प्रदेश के ही धर्मेन्द्र कुमार और नरेंद्र यादव को भी एक परिवार के पांच लोगों की हत्या का दोषी करार दिया गया था. इस मामले में निचली अदालत ने दोनों को 1995 में मौत की सजा सुनायी, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार नहीं रखा. लेकिन 1999 में उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.

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दोनों ने 1999 में क्षमा याचिका दाखिल की थी, जिसे मार्च 2010 में राष्ट्रपति सचिवालय को दोबारा जमा किया गया. राष्ट्रपति सचिवालय ने एक आरटीआई अर्जी में एससी अग्रवाल नामक शख्स को यह जानकारी दी. जवाब के अनुसार इन फैसलों के बाद राष्ट्रपति सचिवालय के समक्ष अभी 21 ऐसी याचिकाएं लंबित हैं, वहीं तीन गृह मंत्रालय के पास हैं.

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अबतक तीन आवेदनों पर फैसला किया है और सभी मामलों में सजा को उम्रकैद में बदला गया है. संविधान के अनुच्छेद 72 के आधार पर क्षमा याचिका पर राष्ट्रपति फैसला करता है. इससे पहले 23 नवंबर 2009 को प्रतिभा ने तमिलनाडु के आर गोविंदस्वामी की मौत की सजा में कमी कर उसे आजीवन कारावास में बदला था.

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