सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर रेल पहियों को थाम देने वाले जाटों ने कहा है कि सरकार के आश्वासन के बाद उन्होंने आंदोलन बेशक वापस ले लिया है लेकिन उन्होंने अपनी मांग नहीं छोड़ी है.
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि अभी वे कुछ महीने तक यह देखेंगे कि सरकार अपने आश्वासनों पर कितनी खरी उतरती है.
उन्होंने कहा कि यदि आरक्षण देने की मांग मंजूर नहीं की गई तो जाट फिर से सड़कों पर उतर आएंगे. जाट नेता ने कहा कि आंदोलन वापस लेने का मतलब इसके खत्म होने से नहीं है. इसकी चिनगारी अब भी सुलग रही है लेकिन अभी कुछ महीने तक इंतजार किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि आगामी 10 अप्रैल को गाजियाबाद में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की बैठक में आगे की कार्य योजना पर विचार किया जाएगा. इसमें लगभग 13 राज्यों के जाट प्रतिनिधि शामिल होंगे. मलिक ने कहा कि इस दौरान ‘जाट संकल्प यात्रा’ के आह्वान को मूर्त रूप देकर इसकी तारीख और मार्ग तय किया जाएगा. यह यात्रा देश में जाटों की आबादी वाले प्रत्येक गांव तक जाएगी.
उन्होंने कहा कि यात्रा की तारीख प्रत्येक राज्य के फसल चक्र के हिसाब से तय की जाएगी ताकि किसी को परेशानी नहीं हो. जाट नेता ने कहा कि यह यात्रा जाटों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से निकाली जा रही है.
हरियाणा जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख हवा सिंह सांगवान ने कहा कि उन्होंने सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर आंदोलन वापस लेने का फैसला किया है लेकिन यदि आरक्षण की मांग पूरी नहीं हुई तो अगली बार और अधिक ताकत के साथ आंदोलन किया जाएगा.