अमेरिका ने कहा है कि भारत से उसकी नजदीकी को चीन के लिए खतरे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और न ही चीन से अमेरिका के नजदीकी रिश्तों को भारत के लिए खतरा माना जाना चाहिए.
अमेरिका ने कहा कि यह दिखाता है कि एशिया के ताकतवर देशों, भारत और चीन, की सुरक्षा को महज किताबी जोड़-घटाव के तौर पर नहीं देखा जा सकता. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ‘पेंटागन’ की आला अधिकारी मिशेल फ्लॉर्नाय ने कहा ‘एक सुरक्षित, अमेरिका के करीब और ज्यादा महफूज भारत को चीन के लिए खतरे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और न ही चीन-अमेरिका संबंधों को भारत के लिए खतरे के तौर पर देखा जाना चाहिए. वास्तव में, तीनों देश उस क्षेत्र के स्थायित्व में अहम भूमिका निभाते हैं.’
क्षेत्रीय साझेदारी बढ़ाने को लेकर ओबामा प्रशासन के रुख को ध्यान में रखते हुए रक्षा विभाग में अवर सचिव (नीति) फ्लॉर्नाय ने कहा कि एक दूसरे से पहले से कहीं ज्यादा जुड़ चुके क्षेत्र के बाबत ‘पूर्वी एशियाई’ सुरक्षा या ‘दक्षिण एशियाई’ सुरक्षा को लेकर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. भारत-अमेरिकी रक्षा संबंधों पर एक अहम नीतिगत भाषण में फ्लॉर्नाय ने कहा ‘इसका यह भी मतलब है कि एशिया के दोनों ताकतवर देशों की सुरक्षा को महज किताबी जोड़-घटाव के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सुरक्षा मामलों में भारत और चीन के बीच बढ़ रहे सहयोग का अमेरिका स्वागत करता है एवं भारत और अमेरिका, दोनों, चीन के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं. फ्लॉर्नाय ने अपने संबोधन के दौरान बीजिंग से अपनी सैन्य क्षमताओं और इरादों को लेकर और ज्यादा पारदर्शी होने की भी अपील की.