क्या पार्षद नालों की सफाई को लेकर संजीदा नहीं है, क्या पार्षदों को दिल्लीवालों की परवाह नहीं है, क्या वॉटर लॉगिंग को लेकर पार्षद बेपरवाह हैं. ये सारे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नालों की सफाई नहीं होने का आरोप लगा रहे पूर्वी दिल्ली के पार्षदों से जब मेयर ने क्लीनिंग की स्टेटस रिपोर्ट मांगी, तो किसी पार्षद ने नहीं दी. अब भला कोई पार्षद ही ध्यान न दे, तो फिर अफसर क्यों परवाह करेंगे.
ईस्ट एमसीडी की मेयर नराज़ हैं, वजह है कि पार्षद अपने इलाके में नालों की सफाई को लेकर सक्रिय नहीं हैं, यहां तक कि मेयर ने जो स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी वो भी पार्षदों ने नहीं दी.
एमसीडी ईस्ट के मेयर अन्नपूर्णा मिश्रा कहते हैं, ‘एक भी पार्षद ने मुझे रिपोर्ट नहीं दी है, अब पता नहीं क्यों नहीं दी ये आप उनसे पूछिए, नालों की सफाई के बारे में उनसे पूछा था, वो बता सकते हैं, मेरे पास तो जानकारी नहीं है, में विजिट करूंगी तो बताऊंगी.’
नालों की सफाई के लिए मेयर ने 15 जून की डेडलाइन तय की थी और पार्षदों से पूछा था कि उनके वार्ड में नालों की सफाई की क्या हालत है. लेकिन पार्षद हैं कि अपनी ही दलील दे रहे हैं, उनका कहना है कि अफसर उनकी सुनते ही नहीं है.
पार्षद प्रीति कहती हैं, ‘हमारी अफसर सुनते नहीं है, पीडब्ल्यूडी के नाले हैं वो अधिकारी बात नहीं करते हैं, ऐसे में बड़ी मुश्किल हो गई है.’
पार्षदों के अपने बहाने हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि नालों से कीचड़ निकालने का काम ज़मीन पर कम और कागज़ों में ज्यादा हो रहा है.
यूं तो पार्षद हाउस में हंगामा करते हैं और नालों की सफाई नहीं होने पर शोर भी मचाते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि बात जब स्टेटस रिपोर्ट देने की आयी, तो एक भी पार्षद ने नहीं दी. मतलब हाथी के दांत खाने के और और दिखाने के कुछ और.