बौद्घ सम्प्रदाय का मुख्य धार्मिक स्थल एवं बौद्घों की आस्था के प्रतीक बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष हालांकि संतुलित हो रहा है, परंतु उससे सटे एक अन्य पीपल के वृक्ष को 'मिलिबग' से ग्रस्त पाया गया है.
वैज्ञानिकों ने इस बीमारी के उपचार प्रारंभ कर दिए हैं. इस बोधिवृक्ष का निरीक्षण करने आए देहरादून के वन अनुसंधान केन्द्र के दो वैज्ञानिकों के दल ने निरीक्षण के दौरान पाया कि मंदिर परिसर से सटे एक पीपल के पेड़ को मिलिबग से संक्रमित पाया गया है.
दल में शामिल सुभाष नौटियाल ने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि मिलिबग के उपचार प्रारंभ कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में होने के कारण मिलिबग के कीटाणु बोधिवृक्ष को भी प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि संक्रमित टहनियों को काट दिया गया है तथा दवा का छिड़काव किया गया है. उन्होंने कहा कि मिलिबग एक सामान्य बीमारी है.
उल्लेखनीय है कि देहरादून के वैज्ञानिकों का दल इन दिनों बोधिवृक्ष के सामान्य निरीक्षण के लिए बोधगया में है. वैज्ञानिकों ने कहा कि इस दौरे के क्रम में वृक्ष से सटे बनी छोटी-छोटी नालियों पर लगे टाइल्स को तोड़कर हटवाया गया है तथा पानी निकासी के लिए बने छोटे-छोटे छिद्र को भी हटाया गया है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि पवित्र बोधिवृक्ष संतुलित हो रहा है. उपचार के बाद बोधिवृक्ष की आयु में वृद्घि हुई है. गौरतलब है कि ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के बोधिवृक्ष की देखरेख देहरादून के वन अनुसंधान केन्द्र के जिम्मे है. पिछले वर्ष केन्द्र के वैज्ञानिकों ने वृक्ष की टहनियों में रासायनिक लेप किया था.
उल्लेखनीय है भगवान बुद्ध ने यहीं पर 2500 वर्ष पहले बोध प्राप्त किया था. 1500 वर्ष पुराना मंदिर बोधिवृक्ष के पीछे बना हुआ है.