हाई-वोल्टेज ड्रामे के बीच जम्मू-कश्मीर की लखनपुर सीमा पर भाजपा की ‘एकता यात्रा’ को रोक कर इसके तीन वरिष्ठ नेताओं, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और अनंत कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है.
गिरफ्तार किए गए नेताओं ने ‘ऐतिहासिक भूल’ करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया. जम्मू-कश्मीर के बाहर कर दिए जाने के एक दिन बाद सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और अनंत कुमार ने मंगलवार को फिर से पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की अगुवाई वाली ‘एकता यात्रा’ के साथ राज्य में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन उनकी इस कोशिश को पुलिस ने बैरीकेड लगाकर नाकाम कर दिया.
पंजाब से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते वक्त जेटली, कुमार और ठाकुर के साथ गिरफ्तार की गयीं सुषमा स्वराज ने कहा ‘इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जो राष्ट्रध्वज जलाते हैं उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है जबकि राष्ट्रध्वज थामने वालों को रोका जाता है.’ {mospagebreak}
भाजपा नेताओं को धारा 144 के तहत गिरफ्तार किया गया. धारा 144 लागू रहने पर किसी जगह पर चार से ज्यादा लोग एक स्थान पर जमा नहीं हो सकते. हजारों पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए स्वराज ने कहा ‘हमारा गुनाह क्या है ? हमें गिरफ्तार क्यों किया गया है ? हम शांतिपूर्ण तरीके से मार्च कर रहे हैं.’
इससे पहले, पंजाब सीमा पर स्थित माधोपुर में स्वराज और जेटली ने एक जनसभा को संबोधित किया और श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा फहराने की हुंकार भरी. राज्य सभा में विपक्ष के नेता जेटली ने कहा ‘मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यदि आप राज्य की यात्रा करते हैं तो अलगाववादी भड़केंगे. यह दिखाता है कि (राज्य सरकार ने) अलगाववादियों के समक्ष मनोवैज्ञानिक समर्पण कर दिया गया है. यह एक ऐतिहासिक भूल है.’
बाद में, कार्यकर्ताओं के एक समूह को पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर स्थित रावी नदी पर बने पुल को पार करते देखा गया. हालांकि, सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक लिया. भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए मांग की कि लाल चौक पर तिरंगा फहराने के लिए उन्हें श्रीनगर जाने दिया जाए. {mospagebreak}
जेटली ने कहा कि नई दिल्ली में जब अलगाववादियों का समूह जमा हुआ और भारत विरोधी भाषण दिए तो सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देकर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा ‘लेकिन जब हमने लाल चौक पर तिरंगा फहराना चाहा तो इसे गुनाह कहा जा रहा है.’
जेटली ने कहा कि भाजपा की ओर से बार-बार यह अपील किए जाने के बावजूद कि उनके कार्यों से शांति भंग नहीं होगी, केंद्र सरकार ने भी यात्रा को लेकर अपनी घबराहट दिखाई है. उन्होंने कहा कि ‘जनसंघ’ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तरफ से ऐसे ही प्रतिरोध का सामना किया था. उन्हें उस वक्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था जब वह जरूरी परमिट के बगैर ही राज्य में प्रवेश करना चाह रहे थे.
जेटली ने कहा ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी के त्याग के कारण ही राज्य में प्रवेश के लिए परमिट की व्यवस्था खत्म की गयी. इससे चुनाव आयोग और उच्चतम न्यायालय को भी राज्य में क्षेत्राधिकार प्राप्त हुआ.’