फर्जी पासपोर्ट प्रकरण में अन्डरवर्ल्ड डान अबू सलेम को भोपाल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने भादंसं की धारा 471 एवं भारतीय पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 (1) (ख) के तहत दोषी पाते हुए शुक्रवार को दो-दो वर्ष कैद तथा पांच-पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी.
सीजेएम आर जी सिंह ने सलेम की मौजूदगी में सजा सुनाते हुए कहा कि जुर्माना अदा नहीं करने की दशा में उसे दो-दो माह कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. उल्लेखनीय है कि विचाराधीन कैदी के बतौर सलेम अब तक तीन साल छह दिन की सजा भुगत चुका है और शुक्रवार को सुनाई गई सजा के परिप्रेक्ष्य में उसे 11 माह 24 दिन की सजा भुगतनी होगी.
अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद सलेम के वकील पी सी बेदी ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस ने उनके मुवक्किल को फर्जी पासपोर्ट प्रकरण में झूठा फंसाया है, क्योंकि उसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्यों का अभाव है. पुलिस अब तक वह पासपोर्ट तक जब्त नहीं कर सकी है. यह प्रकरण इस कथित फर्जी पासपोर्ट की ‘प्रतिलिपि’ के बल पर चलाया गया. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि सलेम की ओर से वह इस सजा के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील करेंगे. सलेम के वकील बेदी ने कहा कि भादंसं की धारा 471 के तहत सजा का कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह धारा केवल अपराध को पारिभाषित करती है. वह इस धारा में सुनाई गई सजा के खिलाफ भी सत्र न्यायालय में चुनौती देंगे.
उन्होंने कहा कि हालांकि भादंसं की धारा 468 से अदालत ने उसे गत 16 नवंबर को ही दोषमुक्त कर दिया था, जिसमें कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का प्रावधान है. यह भी उल्लेखनीय है कि इस फर्जी पासपोर्ट प्रकरण में सलेम की सह आरोपी फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी को यह अदालत लगभग एक साल पहले सभी आरोपों से दोषमुक्त कर चुकी है. उसे बरी करने को लेकर प्रकरण में अभियोजन की पुनरीक्षण याचिका इस समय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. {mospagebreak}
भोपाल पुलिस ने सलेम उर्फ दानिश बेग और मोनिका उर्फ फौजिया उस्मान सहित अन्य आरोपियों पर वर्ष 2001 में फर्जी पासपोर्ट तैयार करने के मामले में प्रकरण दर्ज किया था तथा प्रकरण का एक आरोपी मोहम्मद सिराज इस बीच अभियोजन का वादामाफ गवाह बन गया था.
पुलिस ने अभियोजन पक्ष के जरिए 11 फरवरी 2008 को इस अदालत के समक्ष पूरक चालान पेश किया था. अदालत ने इसके बाद 16 जून 2009 को पेश किए गए आरोप पत्र में से उसी दिन भादंसं की धारा 419, 420 एवं 120 (बी) को हटा दिया था तथा धारा 471 एवं 468 तथा पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 (1) (ख) के तहत मामला चलाने की अनुमति दी थी.
सलेम को अभियोजन ने पहली बार 13 नवंबर 2009 को अदालत के सामने पेश किया और 20 नवंबर 2009 को अदालत ने उसके लिए पांच दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी. लगभग तीन वर्ष तक चली सुनवाई में गत एक नवंबर को प्रकरण में अंतिम बहस पूरी हुई थी. पूरे प्रकरण के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से अदालत में 36 गवाह पेश किए गए और 55 पेशियां हुई.