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कपिल सिब्बल ने बेहुरा के बयान को खारिज किया

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने 2जी मामले में जेल में बंद पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अदालत में कहा था कि 2जी लाइसेंस के लिये दिसंबर 2007 में प्रवेश शुल्क को लेकर बैठक में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम और वित्त सचिव डी सुब्बाराव मौजूद थे.

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कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने 2जी मामले में जेल में बंद पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अदालत में कहा था कि 2जी लाइसेंस के लिये दिसंबर 2007 में प्रवेश शुल्क को लेकर बैठक में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम और वित्त सचिव डी सुब्बाराव मौजूद थे.

सिब्बल ने कहा, ‘‘हमने रिकार्ड देखा है. रिकार्ड बताता है कि इस प्रकार की कोई बैठक नहीं हुई थी. न तो चिदंबरम (अब गृहमंत्री) को और न ही सुब्बाराव (अब रिजर्व बैंक के गवर्नर) को इस प्रकार की कोई बैठक की याद है.’’

उन्होंने कहा,‘‘यह आश्चर्यजनक है कि बेहुरा एक जनवरी 2008 को दूरसंचार सचिव बने थे और वह चार दिसंबर 2007 को हुई बैठक का जिक्र कर रहे हैं. उस समय उन्हें इसके बारे में निजी तौर पर कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने अपने बयान के समर्थन में कोई दस्तावेज भी नहीं पेश किया है.’’

बेहुरा ने बुधवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष कहा था कि सुब्बाराव ने 2जी लाइसेंस के लिये प्रवेश शुल्क 1,659 करोड़ रुपये बरकरार रखने का फैसला किया और अगर तत्कालीन वित्त सचिव मामले में आरोपी नहीं हैं तो उनके खिलाफ भी सुनवाई नहीं होनी चाहिए.

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बेहुरा के वकील अमन लेखी ने कहा था, ‘‘चार दिसंबर 2007 को हुई बैठक में सुब्बाराव ने फैसले को अंतिम रूप दिया था. इसमें नीति को मंजूरी दी गयी तथा कहा गया कि प्रवेश शुल्क (2001 में राजग शासन के दौरान 1,659 करोड़ रुपये निर्धारित) को संशोधित करने की जरूरत नहीं है.’’ बेहुरा पिछले छह महीने से जेल में हैं.

लेखी ने कहा था, ‘‘चार दिसंबर 2007 को हुई बैठक में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी मौजूद थे. वित्त मंत्रालय के हिस्सा रहे सुब्बाराव ने अगर कोई गलती नहीं की तो मैंने कैसे गलत किया.’’

सिब्बल ने कहा, ‘‘एक आरोपी की तरफ से दी गयी दलील को सबूत बनाना और पूर्ण सत्य मानना खतरनाक है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अत: अदालत में एक आरोपी की दलील को स्वयं के बचाव में दिये गये बयान के रूप में लिया जाना चाहिए. चूंकि वह आरोपी है, वह अवास्तविक तथ्यों समेत कोई माध्यम से खुद को बचाना चाहेगा.’’

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