पंजाब निकाय चुनाव की मतगणना जारी है. किसान आंदोलन के चलते बीजेपी को पंजाब निकाय चुनाव में करारी मात खानी पड़ी है जबकि कांग्रेस को प्रचंड जीत मिली है. पंजाब के आठ में से कांग्रेस ने 6 नगर निगम में जबरदस्त जीत हासिल की है. बठिंडा, अबोहर, कपूरथला, होशियारपुर, फतेहगढ़ चूड़ियां में बीजेपी और आम आदमी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया. अकाली दल राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. किसान आंदोलन का सियासी असर यह रहा कि बीजेपी सांसद सनी देओल के संसदीय क्षेत्र में पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका है.
पंजाब निकाय चुनाव में बीजेपी सांसद सनी देओल के लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर में सभी 29 सीटों पर पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है जबकि यहां की सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है. डेढ़ साल पहले सनी देओल ने इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को करारी मात दी थी, लेकिन निकाय चुनाव में नतीजे उल्टे आए हैं. बीजेपी की हार के पीछे असल वजह कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की नाराजगी मानी जा रही है.
नगर निगम में कांग्रेस का कब्जा
पंजाब के अबोहर नगर निगम के 50 वार्डों में से 49 वार्डों पर कांग्रेस और सिर्फ एक वार्ड में अकाली दल के उम्मीदवार की जीत मिली है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी खाता नहीं खोल सकी है. वहीं, बठिंडा में 50 वार्डों में से 43 पर कांग्रेस के तो 7 वार्डों में अकाली दल के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. बटाला नगर निगम में कांग्रेस के 35, अकाली दल के 6, बीजेपी के 4, आम आदमी के 3 उम्मीदवार जीते, वहीं एक निर्दलीय ने बाजी मारी है.
मोगा नगर निगम के 50 में से कांग्रेस के 20, अकाली दल के 15, भाजपा का 1, AAP के 4 और 10 निर्दलीय उम्मीदवार जीते.पठानकोट नगर निगम में कांग्रेस के 37, अकाली दल का 1, बीजेपी के 11 और एक निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे. होशियारपुर में कुल 50 वार्डों में से 41 पर कांग्रेस, 4 पर भाजपा, 2 पर आप और 3 उम्मीदवार अन्य के जीते हैं. वहीं, कपूरथला नगर निगम के 50 वार्ड में से 49 सीटों पर नतीजे आ गए हैं, इनमें से कांग्रेस ने 43, अकाली दल ने 3 वार्ड जीते हैं, जबकि आप और भाजपा यहां खाता नहीं खोल पाई.
बीजेपी आधी सीटों पर ही लड़ी चुनाव
बता दें कि पंजाब के 8 नगर निगम, 109 नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत के चुनाव में कुल 9222 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई है. इनमें 2,832 प्रत्याशी निर्दलीय हैं. वहीं, प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 2,037 उम्मीदवार, अकाली दल के 1,569, बीजेपी के 1,003 ,जबकि आम आदमी पार्टी के 1,606 उम्मीदवार मैदान में उतरे.
कांग्रेस की तुलना में बीजेपी आधी सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ सकी है. किसान आंदोलन के चलते बीजेपी उम्मीदवारों को अपना प्रचार करने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. अब चुनावी नतीजे में भी बीजेपी को करारी हार का मिली है. बीजेपी प्रदेश में अभी तक किसी भी निकाय में कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पर अपनी बढ़त नहीं बना सकती है. बीजेपी पंजाब के कई निकायों में खाता नहीं खोल सकी है.
वहीं,2015 में अकाली दल और बीजेपी का गठबंधन सत्ता में था, तब स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन को ही जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी थी. इस बार अकाली दल और बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद दोनों ही पार्टियां अकेले चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसका खामियाजा दोनों ही पार्टी को उठाना पड़ा है.