पंजाब की ब्यास नदी में इंडस्ट्रियल वेस्ट जाने से नदी में बढ़ रहे प्रदूषण का मामला अब NGT तक पहुंच गया है. एनजीटी के एक्टिंग चेयरमैन जस्टिस जावद रहीम ने मामले में पंजाब व राजस्थान सरकार, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सीपीसीबी, पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पीपीसीबी राजस्थान स्टेशन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, राणा शुगर मिल, चड्ढा शुगर मिल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
एनजीटी ने पीपीसीबी व सीपीसीबी को ब्यास नदी में से तीन-तीन सैंपल ले उसकी जांच कर छह हफ्ते में उसकी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
सुनवाई के दौरान पंजाब की आम आदमी पार्टी की तरफ से वकील एचएस फुल्का ने कहा कि ब्यास नदी का पानी जहरीला हो गया है. नदी के जीव-जंतुओं की मौत हो गई है, लोगों को कैंसर हो गया है, लेकिन पंजाब सरकार जिम्मेदार शुगर मिल मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि पानी में पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार लोगों को पंजाब सरकार का संरक्षण प्राप्त है.
वहीं, इसका विरोध करते हुए पंजाब सरकार की तरफ से वकील नागेंद्र बेनीपाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है. और उपचुनावों में इसका सियासी लाभ लेना चाहती है. इस पर आप के वकील ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अगर उपचुनाव हैं तो सरकार काम करना बंद कर देगी.
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई. लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों ही पक्षों को साफ कर दिया कि बहस उन मुद्दों पर कीजिए जो कोर्ट से जुड़े हुए हैं और जिनका जनहित से लेना देना है.
गौरतलब है कि बुधवार को पंजाब आप के विधायकों का प्रतिनिधिमंडल एनजीटी के चेयरमैन से मिला था. उन्होंने ब्यास नदी में चीनी मिल से हुए जहरीले रसायन के रिसाव से पानी के प्रदूषित होने की शिकायत की थी. जिसके बाद गुरुवार को मामले की सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी.