डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को यौन शोषण के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पंजाब और हरियाणा में हिंसा भड़क उठी है. हालाक बेकाबू होते जा रहे हैं. डेरा समर्थकों के तांडव में अब तक ग्यारह लोगों की मौत हो गई है. मीडिया कर्मियों पर धारदार हथियारों से हमले किए जा रहे हैं. दोनों राज्यों के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. ऐसे में सवाल ये है कि इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है.
गुरुवार की रात तक हरियाणा के डीजीपी बीएस संधू पूरी मुस्तैदी और सुरक्षा की दलील दे रहे थे. हाईकोर्ट के निर्देशों और सवालों पर कह रहे थे कि पूरी तैयारी है. लोगों को जांच के बाद ही जाने दिया जा रहा है. लेकिन सवाल ये है अगर इतनी तैयारी थी कि डेरा समर्थकों के पास से धारदार हथियार कहां से मिल रहे हैं. लोगों पर हमले करने के लिए डेरा समर्थकों के पास हथियार कहां से आए.
सुरक्षा के सवाल पर संधू ने कहा था कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. पुलिस बल के अलावा केंद्रीय बलों के कर्मी बड़ी संख्या में पंचकुला पहुंच गए है और उन्हें तैनात कर दिया गया है. अदालत के आसपास के इलाके में किसी को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और केवल उन्हें ही जाने दिया जाएगा जिनकी वहां जरुरत है. उन्होंने बताया कि सिरसा शहर और आसपास के तीन गांवों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है लेकिन पंचकुला के लिए अभी तक ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया.
यह पूछने पर कि अगर डेरा समर्थकों ने वहां से जाने से मना कर दिया तो इस पर संधू ने कहा, हम किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम और उसके लिए तैयार हैं. उन्होंने बताया कि हरियाणा पुलिस के कर्मियों ने पंचकुला में एकत्रित कुछ डेरा समर्थकों से छाते और अन्य सामान जब्त कर लिए हैं. उन्होंने कहा, हमने उनकी जांच की. उनके पास लाठियां नहीं है. हमने छाते जब्त कर लिए हैं और उन बसों और वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया है जिनसे वे यहां पहुंचे थे.
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के कर्मी डेरा समर्थकों को यह समझाएंगे कि उन्हें उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना ही पड़ेगा. संधू ने कहा, हम महिलाओं और बच्चों और बुजुर्गों से निपट रहे हैं. हमारे पास उनसे निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में महिलाएं समेत पुलिसकर्मी हैं.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पंचकूला में हालात बिगड़ रहे हैं और अगर हरियाणा सरकार पहले से तैयार रहती तो ये नौबत नहीं आती. हुड्डा ने कहा है कि फिलहाल सरकार पर वो ज्यादा टिप्पणी नहीं करेंगे और इस वक्त हालात सामान्य होना सबसे जरूरी है.
ऐसे में सवाल ये है कि इतनी बड़े पैमाने पर हो रही हिंसा का डीजीपी को अंदाजा नहीं थे. आखिर प्रशासन ने डेरा समर्थकों को इतना मौका क्यों दिया. उन्हें क्यों इकट्ठा होने दिया गया. राज्य में फैली हिंसा के लिए डीजीपी क्या जिम्मेदारी लेंगे.
बता दें कि कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को निर्देश देते हुए कहा था कि अगर किसी भी तरह की हिंसा होती है, तो प्रशासन तुरंत एक्शन ले और उपद्रवियों से निपटने में संकोच न करे.