विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को रायसीना डायलॉग में शिरकत करते हुए एक बार फिर भारत की विदेश नीति पर बात की. दुनिया इस समय बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रही है. ऐसे में लोगों की वैश्विक घटनाक्रमों पर नजर है. इस समय भारत की विदेश नीति को लेकर दुनियाभर के लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. इसका एक कारण भारत का वैश्वीकरण भी है. क्रिकेट टीम की तरह हम सिर्फ घरेलू मैच ही जीतना नहीं चाहते बल्कि विदेशों में भी जीतना चाहते हैं.
रायसीना डायलॉग की बैठकों में शामिल देश और उनके प्रतिनिधि दुनियाभर की राजनीति और आर्थिक मुद्दों पर मंथन करते हैं. इस दौरान जयशंकर ने क्रिकेट का भी जिक्र किया.
रायसीना डायलॉग में जब जयशंकर से प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मोदी कप्तान हों तो बहुत नेट प्रैक्टिस की जरूरत होती है. नेट प्रैक्टिस सुबह छह बजे शुरू होती है और फिर काफी देर तक चलती है. अगर आपके पास कोई ऐसा गेंदबाज है, जिस पर आपको भरोसा है और जिसकी परफॉर्मेंस आपने देखी है तो आप उसे आजादी देते हैं. आप उसे सही पल पर गेंदबाजी का मौका देते हैं और आप उस पर यह भरोसा करते हैं कि वह किसी विशेष परिस्थिति का सामना कर लेगा. इसी तरह कैप्टन मोदी अपने गेंदबाजों को स्वतंत्रता देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह विकेट ले.
लॉकडाउन सरकार का सबसे बेहतरीन फैसला
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन और कोरोना के अलावा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन शायद उन बड़े मुद्दों में से एक है, जिसके बारे में अतंरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई. जयशंकर ने कहा कि देश में लॉकडाउन लगाने का फैसला बहुत मुश्किल था. लेकिन सरकार ने यह कदम उठाया और अब जब हम इस फैसले के बारे में सोचते हैं तो लगता है कि यह हमारा अब तक का सबसे सही फैसला था.
उन्होंने 'टरब्यूलेंस, टेम्परामेंट एंड टेमेरिटी:लीडरशिप इन द एज ऑफ अनसर्टेंनिटी' नाम के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि खेल और डिप्लोमेसी में कई चीजें सामान्य होती हैं. दोनों ही पेशे रोजमर्रा की स्थितियों से निपटने के लिए सबसे अधिक प्रतिस्पर्धा की मांग करते हैं. भारत फिलहाल बहुत ही असामान्य स्थिति में है. वह एक बार फिर निर्णायक रूप से ऊपर की तरफ बढ़ रहा है. दुनिया में बहुत कम देशों या सभ्यताओं को ही एक ही काम करने के दो या तीन अवसर मिलते हैं.
भारत की स्थिति पहले अधिक ताकतवर
इस बीच ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने भारत के डिजिटल आईडी प्रोग्राम को दुनिया के चुनिंदा सफल प्रोग्राम्स में से एक बताया, जो वाकई में वैश्विक स्तर पर बदलाव लेकर आया है.
ब्लेयर ने कहा कि आज असली चुनौती यह है कि बदलती भूराजनीति को कैसे समझा जाए और इस स्थिति में भारत की भूमिका बहुत अहम है क्योंकि पिछले कुछ सालों में भारत ने बेजोड़ विकास किया है. भारत की मौजूदा स्थिति पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर है.
उन्होंने कहा कि यह सोचना बिल्कुल बेतुका है कि भारत यूएनएससी का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन आप अन्य देशों के लिए भी ऐसा कह सकते हैं. पश्चिम के पास सत्ता साझा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. सवाल यह है कि इस नई दुनिया में कूटनीति की समझ कैसे बनाई जाए.
बता दें कि जयशंकर की अध्यक्षता में शुक्रवार को क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक हुई. इस दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी योंग शामिल हुए.