नए कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने पर अड़े किसान संगठन लगातार केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ा रहे हैं. अब तक किसान संगठनों के साथ विवाद खत्म करने के लिए की गई सारी कोशिशें बेकार साबित हुई हैं. किसानों को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए कृषि कानूनों की अच्छाइयां गिनाने की कोशिशें भी बेकार गई हैं. किसान साफ कर चुके हैं कि वह कृषि कानूनों की अच्छाइयां जानने नहीं बल्कि उन को रद्द करवाने के लिए दिल्ली आए हैं.
दरअसल, सरकार ने यह सोचकर कृषि कानूनों में कुछ संशोधन करने की हामी भी भरी थी किसानों का आक्रोश ठंडा पड़ेगा लेकिन अब किसान संगठनों ने उल्टा कानून रद्द करवाने के लिए लोकसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग कर दी है. किसानों की मांगे सिर्फ कृषि कानून रद्द करवाने या फिर दो फसलों को मिल रहे एमएसपी की गारंटी देने तक ही सीमित नहीं है.
वहीं अब 20 से अधिक दूसरी फसलों पर भी MSP की मांग की जा रही है जबकि सच्चाई यह है कि एमएसपी को इन कानूनों से कुछ लेना-देना नहीं है. बावजूद इसके किसान अब एमएसपी को कानूनी अमलीजामा पहनाने जाने की मांग कर रहे हैं. उधर भाजपा किसानों का आंदोलन खत्म करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह का सहारा लेने की कोशिश कर सकती है.
हालांकि अभी तक सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने किसानों का आक्रोश ठंडा करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह का सहारा नहीं लिया है लेकिन भाजपा से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा स्थिति से निपटने के लिए कोई भी कदम उठा सकती है. साल 2022 में चूंकि पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए पार्टी फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है. एक भी गलत कदम उसके मंसूबों पर पानी फेर सकता है. वैसे भी कृषि कानूनों के अस्तित्व में आने से पंजाब में भाजपा को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को डर है कि नई रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी किसानों को शांत करने के लिए आयोजित की जा रही बैठकों में कैप्टन अमरिंदर सिंह को शामिल करके उनका सहारा ले सकती है. कैप्टन अमरिंदर सिंह का सहारा इसलिए क्योंकि किसान संगठन उनकी अपील पर ही रेलवे ट्रैक खाली करने पर राजी हुए थे. कैप्टन लगातार किसान संगठनों के साथ संपर्क में हैं.
माना जा रहा है कि पंजाब के कृषि संगठनों पर कैप्टन का प्रभाव है. वे पहले राजनेता हैं, जिन्होंने कृषि कानूनों की मुखालफत शुरू की थी और उनको लागू होने से रोकने के लिए बकायदा तीन विधेयक भी विधानसभा में पास करवाए.
विपक्षी ने कैप्टन, अमित शाह की मुलाकात पर खड़े किए सवाल
आम आदमी पार्टी जैसी विपक्षी पार्टियां गुरुवार को दिल्ली में हुई कैप्टन और अमित शाह की बैठक पर सवाल खड़े कर रही हैं. बरनाला के विधायक और आम आदमी पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष मीत हेयर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से सवाल किया है कि उनको जनता को बताना चाहिए कि उन्होंने अमित शाह पर कृषि कानून रद्द करवाने के लिए दबाव डाला या नहीं.
आप नेता ने कहा है कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर किसानों और केंद्र के बीच सीधी बातचीत हो रही है. ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह और अमित शाह की मुलाकात पर सवाल खड़े होना लाजमी है. क्योंकि कैप्टन अब राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर गृहमंत्री से विवाद को जल्द सुलझाने की बात कर रहे हैं.
कैप्टन अमरिंदर को क्यों देनी पड़ी सफाई
गुरुवार को गृहमंत्री से मुलाकात करने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि उन्होंने पंजाब के लगातार बिगड़ रहे आर्थिक हालात का हवाला देते हुए विवाद का जल्द हल निकालने की अपील की है.
कैप्टन अमरिंदर ने सफाई देते हुए कहा था कि उनकी सरकार किसानों और केंद्र के बीच कृषि कानूनों को लेकर छिड़े विवाद को खत्म करने के लिए किसी भी तरह की कोई मध्यस्थता नहीं करेगी. विवाद किसान संगठन और केंद्र आपस में ही हल कर सकते हैं. कैप्टन अमरिंदर और केंद्र की भाजपा सरकार को लेकर शिरोमणि अकाली दल भी कई बार सवाल खड़े कर चुका है. सुखबीर बादल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था.
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