राज्यसभा में रविवार को कृषि से जुड़े दो बिल पेश किए गए. लेकिन राजनीतिक दल इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं. उच्च सदन में बिल पेश होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा, टीआरएस और अकाली दल जैसी पार्टियों ने विरोध किया. किसानों के मुद्दे पर एनडीए की पुरानी सहयोगी अकाली की सांसद हरसिमरत कौर बादल मंत्री पद से पहले ही इस्तीफा दे चुकी हैं.
राज्यसभा में कृषि से जुड़े इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान अकाली दल ने बिलों को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की. अकाली दल के राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि इन बिलों को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए जहां सभी स्टेकहोल्डर्स की बात सुनी जाए. सरकार पंजाब के किसानों को कमजोर न समझे.
सपा ने बताया किसान विरोधी बिल
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसे काम कीजिए जो आने वाली पीढ़ी आप को दोषी न ठहराएं. किसान पूछेंगे कि हमारा जब डेथ वारंट निकाला जा रहा था, तो आप उस वक्त क्या कर रहे थे? रामगोपाल यादव ने कहा कि नरेंद्र सिंह तोमर कहेंगे कि हम धरती पर स्वर्ग उतारना चाहते हैं, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है. क्या आप गारंटी देते हैं कि किसान अपनी मनचाही कीमतों पर फसल बेच सकेगा? सपा सांसद ने कहा कि कोई किसान का बेटा इस तरह का बिल नहीं बना सकता. नरेंद्र सिंह तोमर आप तो किसान के बेटे हैं, जो कुछ है वह सब किसान विरोधी है.
राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती है. पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है. इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है. किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं.
तेलंगाना राष्ट्रसमिति (टीआरएस) के सांसद के केशव रॉव ने सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने किसानों के बिल को राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया. के केशव राव ने आरोप लगाया कि सरकार देश में कृषि की संस्कृति को बदलने की योजना बना रही है. वहीं टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा करती है. लेकिन मैं बता दूं कि किसानों की आय 2028 तक दोगुनी नहीं हो सकती है. ये सरकार सिर्फ वादा करती है. दो करोड़ नौकरी कहां है.
किसानों को बना दिया जाएगा गुलामः डीएमके
वहीं डीएमके ने भी कृषि बिल के मुद्दे पर सरकार को घेरा. डीएमके सांसद टीकेएस एलनगोवन ने कहा कि देश की जीडीपी में कम से कम बीस फीसदी का योगदान देने वाले किसान इन विधेयकों से गुलाम बना दिए जाएंगे. यह किसानों को मार देगा और उन्हें एक बिकने वाली चीज बना देगा.
बीएसपी के सतीश मिश्रा ने कहा कि किसान इस देश की रीढ़ हैं. किसानों की आशंकाओं को दूर किया जाना चाहिए. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार को इस बिल को लेकर शरद पवार और प्रकाश सिंह बादल जैसे नेताओं से चर्चा करनी चाहिए थी जिससे देश के किसानों को फायदा होता है.